दस सीटें जीतने के बाद मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव में यादवों के वोट भी सपा को नहीं मिले।
दस सीटें जीतने के बाद मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव में यादवों के वोट भी सपा को नहीं मिले। ऐसे में गठबंधन बना कर क्या करेंगे? उप चुनाव बसपा अकेले दम पर लड़ेगी। मोदी ने तो पहले ही कहा था। सोच समझ कर टिप्पणी करुंगा-अखिलेश।
हिन्दुस्तान की राजनीति में मायावती जैसा राजनीतिज्ञ शायद ही मिले। लोकसभा चुनाव में राजनीति के नौसीखिए सपा के अखिलेश यादव से गठबंधन किया और दस सीटें जीतने के बाद कह दिया कि अब सपा और अखिलेश में कोई दम नहीं है, इसलिए सपा-बसपा के गठबंधन को स्थगित किया जा रहा है। आगामी दिनों में होने वाले यूपी के उपचुनावों में बसपा अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। 4 जून को एक संवाददाता सम्मेलन में मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को यादवों के भी वोट नहीं मिले, इसलिए अखिलेशा यादव की पत्नी डिंपल, भाई धर्मेन्द्र और अक्षय भी चुनाव हार गए। जब सपा के पास वोट भी नहीं है तो फिर गठबंधन का क्या फायदा? बसपा के परंपरागत वोट तो सपा के उम्मीदवारों को मिले, लेकिन सपा के परपरांगत वोट हस्तांरित नहीं हो सके। भाजपा से लडऩे के लिए सपा के कार्यकताओं ने मौका गंवा दिया। हालांकि मायावती सपा अध्यक्ष अखिलेश के प्रति नरम नजर आई, लेकिन साफ कर दिया कि यूपी में सपा की पकड़ कमजोर हो गई है। मालूम हो कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती को एक सीट भी नहीं मिली थी, लेकिन सपा से गठबंधन करने के बाद 2019 के चुनाव में बसपा को 10 सीटें मिल गई। जबकि सपा को मात्र पांच सीटें ही मिली। मायावती ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि सपा ने अपने हिस्से की 37 सीटों में से आरएलडी आदि छोटे दलों को भी सीटें दी। गठबंधन के दौरान मायावती पूरी तरह हावी रही। राजनीति के जानकारों के अनुसार यदि मायावती सपा के साथ गठबंधन नहीं करती तो बसपा की हालत 2014 जैसी ही होती। लेकिन दस सीटें जीतने के बाद भी मायावती ने गठबंधन की विफलता का ठीकारा सपा पर फोड़ दिया है। असल में मायावती नहीं चाहती है कि हार की जिम्मेदारी बसपा पर आए। अखिलेश यादव कोई कदम उठाते, इससे पहले ही मायावती ने सपा को कसूरवार ठहरा दिया। मायावती ने बसपा की विफलता बताने के बजाए सपा को कटघरे में खड़ा कर दिया।
मोदी का कथन सही:
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बार बार कहा था कि यूपी में गठबंधन नहीं, बल्कि ठगबंधन है। अपने अपराधों से बचने के लिए मायावती और अखिलेश ने ये गठबंधन किया है, लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद यह गठबंधन टूट जाएगा।
सोच समझ कर टिप्पणी करुंगा:
मायावती के गठबंधन से अलग होने पर अखिलेश यादव ने कहा कि वे सोच समझ कर टिप्पणी देंगे। जो लोग अलग हो रहे हैं उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी भी उपचुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े करेंगी। पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी है।
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