50 करोड़ की बेशकीमती सम्पत्ति पर अजमेर प्रशासन की टेढ़ी नजर क्यों ? हाईकोर्ट के आदेश की परवाह नहीं।
50 करोड़ की बेशकीमती सम्पत्ति पर अजमेर प्रशासन की टेढ़ी नजर क्यों ? हाईकोर्ट के आदेश की परवाह नहीं। अब अवमानना का मामला दायर।
मालिकाना हक का मामला भी कोर्ट में:
50 करोड़ की बेशकीमती सम्पत्ति के मालिकाना हक का मामला भी सिविल कोर्ट में विचाराधीन है। स्वर्गीय मंगलचंद सखलेचा के पौत्र कीर्ति सखलेचा ने अपने ताऊजी सौभागमल के वसीयतनामे को चुनौती दी है। आमतौर पर ऐसी विवादित सम्पत्तियों से प्रशासन दूर रहता है क्योंकि ऐसी सम्पत्तियों पर भू-माफियाओं की नजर रहती है। कीर्ति का प्रयास है कि भवन को जर्जर बताकर प्रशासन से गिरवा दिया जाए ताकि सौभागमल का कब्जा नहीं रहे। बताया जाता है कि कीर्ति अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहा है, इससे 73 वर्षीय बुजुर्ग के सामने विकट समस्या उठ खड़ी हुई है। सवाल यह भी है कि जिला प्रशासन सभी जर्जर भवनों के विरूद्व कार्यवाही क्यों नहीं करता ? दरगाह क्षेत्र में अनेक भवन ऐसे हैं जो खतरनाक स्थिति में है। जबकि सौभागमल ने तो अपने भवन की मरम्मत करवा ली है।
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