धोनी के ग्लब्स पर लगे इंडियन आर्मी के चिन्ह पर एतराज क्यों?
क्या आईसीसी पर पाकिस्तान का दबाव है?
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भारतीय की क्रिकेट टीम को लंदन में हो रही विश्व कप प्रतियोगिता में 9 जून को ऑस्ट्रेलिया के साथ खेलना है। इसके बाद भारत का मुकाबला पाकिस्तान के साथ होगा, लेकिन पाकिस्तान ने अभी से ही भारतीय टीम पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना शुरू कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आईसीसी ने भारतीय खिलाड़ी महेन्द्र सिंह धोनी के ग्लब्स पर लगे भारतीय सेना के चिन्ह पर जो एतराज जताया है, उसके पीछे पाकिस्तान का दबाव है। आईसीसी के नियमों की जानकारी रखने वालों के अनुसार धोनी ने किसी भी प्रकार से नियमों का उल्लंघन नहीं किया है। इंडियन आर्मी का चिन्ह न तो धार्मिक और न ही नसलीय। यह चिन्ह कामर्शियल भी नहीं है। लेकिन फिर भी आईसीसी ने एतराज किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान के खिलाड़ी इंडियन आर्मी के चिन्ह से घबरा रहे हैं क्योंकि धोनी आर्मी की उसी पैरा ट्रूपर यूनिट के लेफ्टिनेंट कर्नल है, जिसने पाकिस्तान को कई युद्धों में हराया है। 1972 में पाकिस्तान के विभाजन के समय में आर्मी की पैरा रेजीमेंट ही सबसे पहले पश्चिमी पाकिस्तान (अब बंग्लादेश) की जमीन पर उतरी थी। धोनी ने आर्मी में पैराशूट का बकायदा प्रशिक्षण भी लिया है। चूंकि विश्व कप में धोनी भारत की ओर से खेल रहे हैं, इसलिए अपनी सेना को सम्मान देने के लिए चिन्ह लगाया है। विभिन्न देशों के खिलाड़ी अपनी टोपी पर देश का राष्ट्रीय चिन्ह भी लगाते हैं। आईसीसी ने कभी भी एतराज नहीं किया। हालांकि बीसीसीआई धोनी के साथ खड़ी है, लेकिन अब बीसीसीआई को आईसीसी की इस हरकत का करारा जवाब देना चाहिए। यह भारत के मान सम्मान की बात है। धोनी कोई सामान्य खिलाड़ी नहीं है। धोनी की अगुवाई में भारत विश्व कप जीत चुका है। धोनी लगातार तीसरी बार इस प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं। धोनी भारतीय टीम में विकेटकीपर की भूमिका निभाते हैं, इसलिए उनके हाथें में हमेशा ग्लब्स होते हैं। 5 जून को दक्षिण अफ्रीका के साथ हुए मैच में भी धोनी ने आर्मी के चिन्ह वाले ग्लब्स पहन रखे थे। इस मैच में भारत की जीत हुई थी। आईसीसी का अब कहना है कि धोनी पर बीसीसीआई के चिन्ह लगाने से पहले अनुमति नहीं ली। जहां तक सिर्फ अनुमति का सवाल है तो बीसीसीआई को यह औापचारिकता पूरी कर लेनी चाहिए। आईसीसीके बेमतलब के एतराज पर बीसीसीआई को सख्त कदम उठाना चाहिए। इंग्लैंड में धोनी भारत के प्रतिनिधि के तौर पर खेल रहे हैं। आर्मी के चिन्ह को बलिदान चिन्ह के तौर पर माना जाता है।