राजेश पायलट की पुण्य तिथि पर 62 विधायकों की मौजूदगी क्या राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति पर असर डालेगी।
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पता नहीं राहुल गांधी कांग्रेस संगठन में कब सक्रिय होंगे। इस बीच कांग्रेस को पंजाब से लेकर तेलंगाना तक में झटके लग चुके हैं। इसी क्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्य तिथि पर एकत्रित हुए 62 विधायकों को लेकर राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई है। स्वर्गीय पायलट के पुत्र सचिन पायलट इस समय प्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष होने के साथ-साथ सरकार में डिप्टी सीएम भी हैं। अपने पिता की पुण्य तिथि पर सचिन पायलट की ओर से दौसा के भडाना गांव में 11 जून को सर्वधर्म सभा आयोजित की गई थी। चूंकि इस सभा में पायलट स्वयं मौजूद रहे इसलिए 15 मंत्रियों सहित 62 विधायक उपस्थित हो गए। राजनीतिक दृष्टि से बहुजन समाज पार्टी के चार और चार निर्दलीय विधायकों की उपस्थिति को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मौजूदा समय में 200 में से 100 कांग्रेस के विधायक हैं। वहीं कांग्रेस को बसपा 6 और 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है इसलिए कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है। लेकिन राजेश पायलट की पुण्य तिथि के अवसर पर 62 विधायकों की उपस्थिति राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में हलचल उत्पन्न कर सकती है। हाल ही के लोकसभा चुनाव में राजस्थान में कांगे्रस को सभी 25 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। बुरी हार के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष पायलट के बीच मतभेद खुलकर सामने आए। गहलोत का कहना रहा कि हार में भी हिस्सेदारी होनी चाहिए और जब मेरे पुत्र वैभव गहलोत को जोधपुर से जीताने की जिम्मेदारी सचिन पायलट ने ली थी तो फिर वैभव की हार कैसे हो गई। इस पर मंथन होना चाहिए। हालांकि गहलोत के इस बयान पर पायलट ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन माना जा रहा है कि पुण्य तिथि पर उपस्थित 62 विधायकों की उपस्थिति ही अशोक गहलोत को जवाब है। हालांकि सचिन पायलट और उनके समर्थक पुण्य तिथि पर उपस्थित विधायकों की संख्या को राजनीति से जोडऩे से इंकार करेंगे, लेकिन मौजूदा समय में इतने विधायकों की उपस्थिति चर्चा का विषय बनेगी। वहीं अशोक गहलोत के समर्थकों का कहना है कि 62 विधायकों की उपस्थिति कोई मायने नहीं रखती है। क्योंकि पुण्य तिथि प्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष के पिता की थी। ऐसे में अनेक विधायकों और मंत्रियों ने शिष्टाचार के नाते उपस्थिति दर्ज करवाई है। इसे शक्ति परीक्षण के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। यदि सीएम गहलोत भी परिवार का कोई कार्यक्रम आयोजित करें तो इससे ज्यादा विधायक और मंत्री उपस्थित हो सकते हैं।