लूट खसोट करने वाली पांच प्राइवेट स्कूलों की एनओसी रद्द।
लूट खसोट करने वाली पांच प्राइवेट स्कूलों की एनओसी रद्द।
अजमेर में भी हो रही है ऐसी लूट खसोट। एमपीएस का मामला सामने आया।
राजस्थान सरकार के माध्यमिक शिक्षा निदेशायल ने प्रदेश के पांच प्राइवेट स्कूलों की एनओसी रद्द कर दी है। निदेशालय ने अब सीबीएसई को पत्र लिख कर ऐसी स्कूलों की मान्यता रद्द करने का आग्रह किया है। जिन प्राइवेट स्कूलों की एनओसी रद्द की गई है उनमें करौली की कृष्ण चिल्ड्रन एकेडमी, कोटा की आदर्श भास्कर स्कूल, राजसमंद नाथद्वारा की अंकुर एजुकेशन सोसायटी, दौसा की दिशा एकेडमी तथा सीकर की आर्य शिक्षा निकेतन है। जयपुर के मानसरोवर में संचालित सेंट एंसलम स्कूल की एनओसी पहले ही रद्द की जा चुकी है। राज्य सरकार की एनओसी के बाद ही सीबीएसई स्कूलों को मान्यता देता है। सरकार ने प्राइवेट स्कूलों के शिक्षण शुल्क को लेकर नियम बना रखे हैं। इन नियमों के तहत ही शुल्क में वृद्धि की जा सकती है, लेकिन अधिकांश प्राइवेट स्कूल सरकार के नियमों को नहीं मानते हैं। विकास शुल्क, स्टेशनरी, ड्रेस आदि के नाम पर अभिभावकों से हजारों रुपए की वसूली करते हैं। कुछ स्कूलों के लालची मालिक तो एसएमएस तक के लिए भी प्रति विद्यार्थी से सौ रुपए तक वसूलते हैं। यहां तक टीसी देने के पैसे भी वसूले जाते हैं। सरकारी मदद से पढऩे वाले बच्चों के साथ खुलेआम भेदभाव किया जाता है। अजमेर में ऐसे कई प्राइवेट स्कूल हैं जहां सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती है। अभिभावकों की शिकायतों पर सरकार ने जयपुर स्थित शिक्षा निदेशालय में जांच कमेटी बना दी है। अभिभावकों की शिकायतों पर ही पंाच स्कूलों की एनओसी रद्द की गई है।
अजमेर में एमपीएस का मामला:
स्कूल के विकास या अन्य संसाधन बढ़ाने के नाम पर शुल्क लेने पर सरकार ने रोक लगा रखी है, लेकिन फिर भी अजमेर की माहेश्वरी पब्लिक स्कूल के प्रबंधक प्रतिमाह चार सौ रुपए स्मार्ट क्लास फीस के नाम पर वसूली करते हैं। 460 रुपए की वसूली ट्यूशन फीस के अतिरिक्त है। हालांकि अभिभावकों ने विरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जून-जुलाई माह में दो स्मार्ट क्लास के नाम पर 750 रुपए की अतिरिक्त वसूली की गई है। यानि अभिभावकों से स्मार्ट क्लास की फीस 1550 रुपए वसूली गई है। इस स्कूल में दो माह की एडवांस फीस वसूली जाती है। एलकेजी के विद्यार्थी से प्रत्येक दो माह ट्यूशन फीस 4620 रुपए, स्मार्ट क्लास फीस 800 रुपए कम्यूनिकेशन शुल्क 100 रुपए वसूले जा रहे हैं। एमपीएस में करीब तीन हजार छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं। ऐसी स्थिति में स्मार्ट क्लास के नाम पर 12 लाख रुपए प्रतिमाह वसूले जा रहे हैं। सरकार को ऐसी वसूली पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।
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