राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान राहुल गांधी मोबाइल पर व्यस्त रहे।

राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान राहुल गांधी मोबाइल पर व्यस्त रहे।
अब तो समझदार और सावधान हो जाएं राहुल।

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20 जून को दोपहर 12:15 मिनट पर संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण समाप्त हुआ और उधर टीवी चैनलों पर देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी छा गए। जो चैनल वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण में विशेषज्ञों के माध्यम से बहस करवा रहे थे उन्होंने अचानक राहुल गांधी की समझदारी पर बहस शुरू कर दी। असल में राष्ट्रपति के कोई सवा घंटे के भाषण में राहुल गांधी अधिकांश समय अपने मोबाइल पर व्यस्त रहे। कभी कभार उन्होंने पास में बैठी अपनी माताजी श्रीमती सोनिया गांधी से बात की। संसद के अधिवेशन में श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी पहली लाइन में बैठे हुए थे। सभी चैनलों पर राष्ट्रपति के अभिभाषण का लाइव प्रसारण हुआ। अभिभाषण में कोई सांसद क्या करता है, यह उनका व्यक्तिगत मामला है, लेकिन राहुल गांधी तो एक राष्ट्रीय दल के अध्यक्ष है और विपक्ष में होने के नाते उन्हें अभिभाषण ध्यान से सुनना चाहिए था। उन्हें इसी अभिभाषण पर संसद में बहस भी करनी है। राष्ट्रपति का अभिभाषण ध्यान से सुनते तो राहुल गांधी संसद के बाहर मीडिया कर्मियों को प्रतिक्रिया भी देते। जब मीडिया ने प्रतिक्रिया चाहती तो रटारटाया जवाब दे दिया कि राफेल विमान खरीद में चोरी हुई है और मैं अपने पुराने स्टेंड पर कायम हंू। राष्ट्रपति का अभिभाषण केन्द्र सरकार की सोच और विचार माना जाता है। भाषण में बिहार के चमकी बुखार जैसी ताजा घटनाओं का कोई जिक्र नहीं था। राहुल चाहते तो देश की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार पर हमला कर सकते थे, लेकिन यह तब होता जब राहुल गांधी संसद में एक जागरुक और समझदार सांसद की भूमिका में होते। राहुल को समझना चाहिए कि राफेल के मुद्दे पर देश की जनता ने अपना फैसला दे दिया है। अब सरकार को घेरने के लिए ताजा और जन समस्याओं के मुद्दे रखने होंगे। राहुल को संसद में मोबाइल पर खेलने जैसी बचकानी गतिविधियों से भी बचना होगा। राहुल गांधी अपना मजाक उड़ाने के लिए स्वयं ही लोगों को मौका देते हैं। सब जानते हैं कि 20 जून को 17वीं लोकसभा  का पहला सत्र था जिसमें राष्ट्रपति का अभिभाषण हुआ। संसदीय परंपरा के अनुरूप संसद का संयुक्त अधिवेशन हुआ। इसमें राष्ट्रपति के साथ साथ उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री, तमाम मंत्री, सांसद आदि मौजूद थे। यह संसदीय पंरपरा का ऐतिहासिक अवसर होता है। यदि राहुल गांधी ऐसे ऐतिहासिक  एवं गंभीर अवसरों पर भी मोबाइल पर व्यस्त रहेंगे तो फिर देश में विपक्ष का क्या होगा? क्या राहुल गांधी स्वयं को देश की सर्वोच्च पंचायत से भी बड़ा समझते हैं? अब जब डिजिटल का जमाना है तो राहुल गांधी को बहुत सावधान रहना होगा। पिछले कार्यकाल में भी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गले मिलने के बाद राहुल गांधी ने आंख मारने की हरकत की तब भी उनका मजाक उड़ा था।
एस.पी.मित्तल) (20-06-19)
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