तीन तलाक पर बिल पेश करने के लिए भी कांग्रेस और ओबेसी ने वोटिंग करवाई।
तीन तलाक पर बिल पेश करने के लिए भी कांग्रेस और ओबेसी ने वोटिंग करवाई।
पक्ष में 186 और विपक्ष में 74 वोट पड़े। राज्यसभा में हो सकता है पास।
सरकार का तर्क :
विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है क्या मुस्लिम महिलाएं उस फैसले को घर में टांग लें? जब तक सरकार कानून नहीं बनाएगी तब तक कोर्ट के फैसले का कोई महत्व नहीं है। कोर्ट के फैसले के बाद भी मुस्लिम महिलाओं को एक साथ तीन बार तलाक कहकर घर से बाहर निकाला जा रहा है। यह बिल नारी के सम्मान के लिए है। इसे किसी जाति और धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। आज पीडि़त महिलाएं सरकार की ओर टकटकी लगाकर देख रही हैं। प्रसाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में हारने के बाद भी विपक्ष ने अपना रवैया नहीं बदला है। हम मुस्लिम महिलाओं को परेशान और निराश नहीं देख सकते।
राज्यसभा में भी हो सकता है पास:
तीन तलाक का बिल लोकसभा में तो आसानी से पास हो जाएगा, क्योंकि यहां अकेले भाजपा को 303 सांसदों का समर्थन है। लेकिन अब माना जा रहा है कि राज्यसभा में बिल पास हो जाएगा। टीडीपी के चार सांसदों के भाजपा में शामिल हो जाने से एनडीए को राज्यसभा में मजबूती मिली है। 236 सदस्यों वाली राज्यसभा में बहुमत के लिए 119 सदस्यों की जरूरत है। बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास 119 सदस्यों का बहुमत हो गया है। इसमें हैदराबाद की वाईएसआर और उड़ीसा में बीजेडी के सदस्यों की संख्या शामिल नहीं है। हालांकि केन्द्र में ये दोनों दल नरेन्द्र मोदी की सरकार को समर्थन दे रहे हैं। यदि वाईएसआर और बीजेडी के सदस्यों का भी समर्थन मिल जाता है तो फिर तीन तलाक का बिल राज्यसभा में आसानी के साथ पेश हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष दिसम्बर में लोकसभा में यह बिल पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा से मंजूरी नहीं मिलने की वजह से सरकार को अध्यादेश जारी करना पड़ा था।
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