तो क्या कर्नाटक में कुमार स्वामी खुद अपनी सरकार गिरवाना चाहते हैं?

तो क्या कर्नाटक में कुमार स्वामी खुद अपनी सरकार गिरवाना चाहते हैं?
विधानसभा में करेंगे 15 जुलाई को बहुमत साबित।
सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति के आदेश दिए।

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12 जुलाई को दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों के इस्तीफे के प्रकरण में यथास्थिति के आदेश दिए, तो वहीं बैंगलूरू में विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री कुमार स्वामी ने अपनी सरकार का बहुमत साबित करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष रखा। अब कुमार स्वामी 15 जुलाई को विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे। सवाल उठता है कि जब सुप्रीम कोर्ट में 16 विधायकों के इस्तीफे का प्रकरण लम्बित है तब कुमार स्वामी विधानसभा में बहुमत साबित करने की जिद क्यों कर रहे हैं? सब जानते हैं कि यदि मौजूदा समय में कुमार स्वामी सरकार का बहुमत साबित करने का प्रयास करते हैं तो कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार गिर जाएगी।  क्योंकि 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद सरकार के पास बहुमत नहीं है। 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में कुमार स्वामी के वकील राजीव धवन ने कहा भी कि सरकार अल्पमत में है। इससे पहले 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक के मुद्दे पर कोई एक घंटे तक सीजेआई रंजन गोगोई के समक्ष बहस हुई। इस बहस में इस्तीफा देने वाले विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष आरके रमेश कुमार के वकील अभिषेक मनुसिंघवी और सीएम कुमार स्वामी के वकील राजीव धवन ने अपना-अपना पक्ष रखा। विधायकों के वकील रोहतगी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का नोटिस दिया जाना चाहिए। क्योंकि 11 जुलाई को कोर्ट ने जो निर्देश दिए थे, उसके अनुरूप विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों के इस्तीफे पर कोई निर्णय नहीं लिया और मीडिया में कोर्ट की अवमानना करने वाला बयान दिया। इसके जवाब में विधानसभा अध्यक्ष के वकील सिंघवी ने कहा कि कोर्ट सीधे तौर पर विधानसभा के कामकाज में दखल नहीं दे सकता। कोर्ट को पहले यह देखना होगा कि विधायकों के इस्तीफे का कितना प्रभाव दल बदल कानून पर पड़ता है। सिंघवी ने सीजेआई गोगोई से कहा कि वे कोई भी निर्णय लेने से पहले वीडियो को देख लें जो 11 जुलाई का है। 11 जुलाई की शाम को छह बजे जब बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की तब पूरे घटना क्रम का वीडियो बनाया गया है। हालांकि बीच में सीजेआई गोगोई ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को चुनौती दे रहे हैं। इस पर सिंघवी का कहना था कि हम सिर्फ प्रक्रिया के बारे में जानकारी दे रहे हैं। सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने 16 जुलाई तक के लिए यथास्थिति के आदेश जारी किए हैं। यानि अब विधानसभा अध्यक्ष आरके रमेश कुमार विधायकों को अयोग्य घोषित करने का निर्णय भी नहीं ले सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अब कर्नाटक में जेडीएस के कुमार स्वामी भी कांग्रेस से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। कुमार स्वामी पहले भी कांग्रेस पर आरोप लगा चुके हैं। कर्नाटक में भाजपा की सरकार को रोकने के लिए कांग्रेस ने 37 विधयकों वाले जेडीएस के कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री बनाया है। हालांकि जेडीएस के भी कई विधायकों ने बागी तेवर अपना रखे हैं।
एस.पी.मित्तल) (12-07-19)
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