स्मार्ट सिटी के कामों में ढिलाई पर संसद में चिंता जताई तो अजमेर में अफसरों ने कहा-तेजी से हो रहा है काम। 12 करोड़ रुपए तो कंसलटेंसी के देंगे।
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24 जुलाई के अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी ने संसद में स्मार्ट सिटी के कार्यों में ढिलाई और लापरवाही बरतने को लेकर केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया तो दोहपर को ही जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा और नगर निगम की आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अब स्मार्ट सिटी के काम तेजी से हो रहे हैं। असल में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट का सारा पैसा भारत सरकार दे रही है, इसलिए सांसद ने केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। इस समय में राज्य में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए स्मार्ट सिटी के कामों में संबंधित अधिकारी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अधिकारियों ने पूर्व में स्वीकृत कामों में बदलाव भी कर दिया है। यानि अब स्मार्ट सिटी में वो ही काम होंगे, जिन्हें कांग्रेस सरकार चाहेगी। ऐसा नहीं कि इन कामों में कांग्रेस सरकार में ही ढिलाई हुई है, भाजपा सरकार के समय भी स्मार्ट सिटी के कामों ने गति नहीं पकड़ी। जिन कामों के टेंडर तक जारी हो गए उन्हें भी शुरू नहीं किया जा सका। ऐलिवेटेड रोड को 31 मार्च 2020 तक बन जाना चाहिए था, लेकिन अभी शुरुआती दौर में ही है। अब दो वर्ष और लगेंगे या तीन वर्ष कहा नहीं जा सकता। राजनीतिक दलों के नेता यही दावा करते हैं कि विकास में राजनीति नहीं होती, लेकिन स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर खुलेआम राजनीति हो रही है। प्रशासन के अधिकारी वो ही काम करते हैं जो कांग्रेस के नेता कहते हैं।
कंसलटेंसी के 12 करोड़ रुपए:
स्मार्ट सिटी के काम कैसे होंगे, इस कार्य का भी ठेका दिया गया है। संबंधित विदेशी फर्म को अगले दो वर्ष में 12 करोड़ 40 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। प्रशासन ने स्मार्ट सिटी के 65 कार्य चिह्नित किए हैं। इन पर 1039 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। एजिस इंडिया कंसलटेंसी इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ही बताएगी कि कार्य कैसे होंगे। हालांकि प्रशासन के पास इंजीनियरों की फौज है, लेकिन सरकारी इंजीनियर्स इतने काबिल नहीं कि स्मार्ट सिटी के काम करवा सकें। यदि स्मार्ट सिटी के कामों में कौताही बरती गई तो केन्द्र सरकार भी धनराशि देने में कटौती कर सकती है।