कितना मायने रखती है आजम खान की माफी।
कितना मायने रखती है आजम खान की माफी।
लोकसभा में ढाल बन कर खड़े रहे अखिलेश यादव।
29 जुलाई को समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान ने लोकसभा में अपने व्यवहार के लिए माफी मांग ली। हालांकि माफी मांगने से पहले आजम खान ने अपनी उपलब्धियां गिनाई। उन्होंने कहा कि मैं दो बार यूपी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री रहा। मैं 9 बार विधायक और दो बार सांसद चुना गया, इसलिए किसी की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कार्य नहीं कर सकता, फिर भी यदि मेरे कथन से लोकसभा के आसान की गरिमा को ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हंू। चूंकि पहली बार माफी शब्द सुना नहीं गया, इसलिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दोबारा माफी मांगने के लिए कहा। आजम ने 24 जुलाई को भाजपा सांसद रमादेवी को लेकर अभद्र भाषा का उपयोग किया था, तब रमादेवी सभापति के आसन पर बैठी थीं। हालांकि रमादेवी 29 जुलाई को आजम की माफी से संतुष्ट नहीं थी, लेकिन अध्यक्ष के आदेश की पालना की। हालांकि आजम ने माफी मांग ली है, लेकिन सवाल उठता है कि जिस अंदाज में माफी मांगी, वह कितना मायने रखती हैं? ऐसा प्रतीत होता है कि विवाद को शांत करवाने के लिए अखिलेश यादव के दबाव में आजम ने माफी मांगी है। यही वजह थी कि आजम के साथ अखिलेश ढाल बन कर खड़े थे। आजम के माफी मांगने के साथ ही अखिलेश ने उन्नाव बलात्कार प्रकरण की पीडि़ता के दुर्घटना का मामला उठा दिया। अखिलेश यादव आजम के माफी मांगने के प्रकरण को जल्द समाप्त करवाने के पक्ष में थे। अखिलेश नहीं चाहते थे कि इस पर और बखेड़ा हो। 26 जुलाई को ही सभी राजनीतिक दलों की महिला सांसदों ने एक स्वर से आजम की निंदा की थी। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श के बाद ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आजम से माफी मांगने को कहा था। यदि आजम माफी नहीं मांगते तो उन्हें बजट सत्र से निलंबित किया जा सकता था। लेकिन इस पूरे प्रकरण में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राजनीतिक समझदारी दिखाई और आजम से माफी मंगवा दी। यदि अखिलेश का दबाव नहीं होता तो आजम कभी भी माफी नहीं मांगते।
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