जोमेटो, मुस्लिम डिलीवरी बॉय और ऑर्डर केंसिल पर बेमतलब की बहस। 

जोमेटो, मुस्लिम डिलीवरी बॉय और ऑर्डर केंसिल पर बेमतलब की बहस। 

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पिछले दो दिनों से मीडिया में ऑन लाइन फूड डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमेटो को लेकर बेमतलब की बहस हो रही है। जबलपुर के युवक अमित शुक्ला ने कंपनी को फूड का ऑर्डर दिया था। ऑर्डर के साथ ही शुक्ला ने 237 रुपए की राशि भी अग्रिम जमा करवा दी। लेकिन जब शुक्ला को यह पता चला कि खाद्य सामग्री लाने वाला युवक मुसलमान है तो शुक्ला ने ऑर्डर केंसिल करवा दिया। यह एक सामान्य प्रक्रिया थी। लेकिन इसे बेवजह तूल दिया गया। शुक्ला का कहना है कि सावन माह में उसका परिवार व्रत कर रहा है और एक समय ही खाना खाता है। चूंकि वह वैष्णव पद्धति को मानता है, इसलिए उसने ऑर्डर केंसिल करवा दिया। कायदे से जोमेटो को 237 रुपए की राशि वापस करनी चाहिए थी, लेकिन कंपनी ने उसकी यह राशि भी जब्त कर ली। शुक्ला का कहना है कि होटल में कौन व्यक्ति खाना बना रहा है इसकी उसे जानकारी नहीं है, लेकिन अपने वैष्णव विचार को बचाने के लिए जितनी सतर्कता वह बरत सकता है उतनी बरत रहा है। यह वैष्णव विचार का मामला ही नहीं है, बल्कि अन्य धर्मों में भी ऐसी सतर्कता बरती जाती है। चाहे मुस्लिम धर्म में रोजे के दौरान हो या सिक्ख धर्म में लंगर बनाने की प्रक्रिया हो। सभी में अपने अपने धर्मों के अनुरूप काम किया जाता है। जब हम भारत को धर्म निरपेक्ष देश मानते हैं और जब हर व्यक्ति को अपने धर्म के अनुरूप रहने का अधिकार है तो फिर किसी के धर्म के निर्णय पर ऐतराज नहीं करना चाहिए। यह सही है कि देश के मौजूदा लोकतांत्रिक हालातों में जबलपुर के अमित शुक्ला को मुस्लिम युवक के नाते ऑर्डर को केंसिल नहीं करवाना चाहिए था। जोमेटो कंपनी में देश भर में हजारों युवक काम करते हैं। लेकिन कभी भी धर्म का मामला सामने नहीं आया। हो सकता है कि अमित शुक्ला की सीधी कार्यवाही उचित नहीं हो, लेकिन इस मामले को तूल देने की जरुरत भी नहीं है। जहां तक हिन्दू और मुसलमानों में भाईचारे का सवाल है तो रोजा इफ्तार के कार्यक्रमों में हिन्दू और मुसलमान एक ही जाजम पर बैठ कर इफ्तारी करता है, इसमें कोई भेदभाव नहीं होता। अधिकांश रोजा इफ्तार के समारोह हिन्दुओं के द्वारा आयोजित किए जाते हैं। इसमें मुस्लिम भाइयों की धार्मिक भावनाओं का पूरा ख्याल रखा जाता है। जोमेटो कंपनी को भी चाहिए कि वह इस पूरे विवाद को तूल न दे, अन्यथा उसके कारोबार पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। हो सकता है कि इन दिनों जोमेटो का मुफ्त में विज्ञापन हो रहा हो, लेकिन आने वाले दिनों में जोमेटो को नुकसान भी हो सकता है। जो इस मामले को तूल दे रहे हैं उन्हें भी देश के हालातों को समझना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (01-08-19)
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