13 में से 9 तथा 6 में से 3 बसपा विधायकों को पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का प्रस्तावक बना कर अशोक गहलोत ने अपनी सरकार की मजबूती भी दिखाई।
13 में से 9 तथा 6 में से 3 बसपा विधायकों को पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का प्रस्तावक बना कर अशोक गहलोत ने अपनी सरकार की मजबूती भी दिखाई। राजस्थान में राज्यसभा की एक सीट के लिए उपचुनाव। निर्दलियों में किशनगढ़ के सुरेश टाक भी शामिल।
13 अगस्त को देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जयपुर में राज्यसभा के उपचुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया है। दो सौ विधायकों में से कांग्रेस के 100 विधायक हैं इसलिए उपचुनाव में डॉ. सिंह की जीत तय मानी जा रही है। जरुरत होने पर 26 अगस्त को मतदान होगा। भाजपा के मदनलाल सैनी के निधन से राजस्थान में एक स्थान रिक्त हुआ है। डॉ. सिंह का कार्यकाल 2024 तक होगा। पूर्व पीएम की उम्मीदवारी के मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार की भी मजबूती दिखाई है। गहलोत ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि उन्हें निर्दलीय और बसपा विधायकों का भरपूर समर्थन है। यही वजह रही कि डॉ. सिंह के नामांकन पर मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों के साथ-साथ निर्दलीय विधायक सुरेश टाक, बलजीत यादव, सुखबीर सिंह जोजावत, रामकेश मीणा, कांति प्रसाद मीणा, महादेव सिंह खंडेला, आलोक बेनीवाल, लक्ष्मण मीणा तथा बाबूलाल नागर को प्रस्तावक बनाया गया है। इसी प्रकार बसपा के राजेन्द्र गुढा, लाखन सिंह सहित तीन विधायकों के नामांकन पर हस्ताक्षर करवाएं गए हैं। यानि 13 निर्दलीय में से 9 तथा बसपा के 6 में से तीन विधायक गहलोत सरकार के साथ हैं। सूत्रों के अनुसार 12 अगस्त की शाम को ही निर्दलीय व बसपा विधायकों को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर बुला लिया गया था।
विरोधियों को संकेत:
निर्दलीय और बसपा विधायकों को प्रस्तावक बना कर गहलोत ने पार्टी के अंदर अपने विरोधियों को भी संकेत दे दिए हैं। असल में कांग्रेस संगठन में जब कोई खलबली होती है तो गहलोत के विरोधी भी सक्रिय हो जाते हैं। यही दावा किया जाता है कि गहलोत को विधायकों का समर्थन नहीं है। हो सकता है कि कांग्रेस के कुछ विधायक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपने पसंदीदा नेता को देखना चाहते हों, लेकिन गहलोत की ओर से अब संकेत दिए हैं कि उन्हें कांगे्रस के विधायकों के साथ-साथ निर्दलीय एवं अन्य छोटे दलों का समर्थन प्राप्त है। बसपा के राजेन्द्र गुढा तो बसपा प्रमुख मायावती पर भी प्रतिकूल टिप्पणी कर चुके हैं। 13 अगस्त को कार्यवाही से गहलोत समर्थक उत्साहित हैं। वैसे भी श्रीमती सोनिया गांधी के फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से अशोक गहलोत की स्थिति दिल्ली में मजबूत हुई है।
किशनगढ़ विधायक भी शामिल:
सीएम अशोक गहलोत के आग्रह पर डॉ. मनमोहन सिंह के नामांकन पर हस्ताक्षर करने वालों में अजमेर जिले के किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक भी शामिल हैं। हालांकि टाक भाजपा की पृष्ठ भूमि के हैं, लेकिन कांग्रेस की सरकार को देखते हुए गहलोत को शुरू से समर्थन दे रहे हैं। सरकार को समर्थन देने का टाक को किशनगढ़ में राजनीतिक फायदा भी मिल रहा है। अधिकांश अधिकारी टाक की सिफारिश से ही नियुक्त हुए हैं। सरकार के मंत्री भी टाक के साथ कांग्रेस विधायक की तरह की व्यवहार करते हैं।
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