कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट का दखल कितना उचित?
वामपंथी येचुरी को कश्मीर जाने की इजाजत भी।
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28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर मुद्दे पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है और एक अन्य याचिका पर वामपंथी नेता सीताराम येचुरी को कश्मीर जाने की इजाजत भी दे दी है। हालांकि सरकार की ओर से सॉलिसिटिर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई से आग्रह किया अनुच्छेद 370 को बेअसर करने के मामले में कोर्ट कोई नोटिस जारी नहीं करे, क्योंकि इसका फायदा पाकिस्तान उठाएगा। लेकिन सीजेआई गोगोई ने सरकार के इस आग्रह को ठुकरा दिया और नोटिस जारी कर लिखित में जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए। मामले की सुनवाई 1 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। साथ ही वामपंथी नेता सीताराम येचुरी को कश्मीर जाने की अनुमति भी दे दी है। लेकिन येचुरी को उनकी पार्टी के विधायक तारिगामी से ही मिलने की इजाजत दी गई है। यानि येचुरी कश्मीर दौरे के दौरान सिर्फ अपने विधायक मित्र से मुलाकात कर सकते हैं। अनुच्छेद 370 को बेअसर करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी। सभी याचिकाओं में सरकार के इस कदम को गैर संवैधानिक बताया गया था। हालांकि सरकार ने राज्यसभा और लोकसभा से प्रस्ताव को स्वीकृत करवाया है, लेकिन अब सरकार के इस फैसले की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट करेगा। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्याय प्रणाली सबसे मजबूत है। अदालतें सरकार के किसी भी फैसले की समीक्षा कर सकती हैं, भले ही ऐसा फैसला देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा हुआ हो। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट किस तरह से इतने संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दे की समीक्षा करता है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या मौजूदा हालातों में सुप्रीम कोर्ट का दखल उचित है? सरकार का दावा है कि कश्मीर घाटी के हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। 28 अगस्त को घाटी के हाईस्कूल भी खोल दिए गए तथा ग्रेटर कश्मीर जैसा लोकप्रिय अखबार भी पूरा 12 पृष्ठ का प्रकाशित हुआ है। इस अखबार में कश्मीर घाटी की सभी खबरें हैं। कश्मीर घाटी के कुछ जिलों को छोड़कर सम्पूर्ण जम्मू और लद्दाख में हालात बहुत पहले ही सामान्य हो गए। जम्मू और लद्दाख में तो अनुच्छेद 370 के बेअसर होने के बाद से ही जश्न का माहौल बना हुआ है। जहां तक कश्मीर घाटी के कुछ जिलों का सवाल है तो वहां अभी भी पाबंदियां लगा रखी हैं। पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को लगातार अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठा रहा है, लेकिन उसे अभी तक भी एक भी देश खासतौर से मुस्लिम देश का समर्थन प्राप्त नहीं हुआ है। अमरीका, रूस जैसे शक्तिशाली देशों ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताया है। यानि पाकिस्तान को कहीं से भी समर्थन नहीं मिल रहा है। अब तो कांग्रेस पार्टी ने भी अपना रुख बदल लिया है। यही वजह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बार बार परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं। इधर, कश्मीर घाटी में भी हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं तो उधर, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान अकेला रह गया है। ऐसे में यह सवाल उठना वाजीब है कि सुप्रीम कोर्ट का दखल कितना उचित है?