सुनील गौर जैसे निर्भिक और ईमानदार न्यायाधीश को ही ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए।
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Sp mittal
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August 29, 2019
सुनील गौर जैसे निर्भिक और ईमानदार न्यायाधीश को ही ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। चिदंबरम की अग्रिम जमानत खारिज की थी।
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केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुनील गौर को प्रिवेंशन ऑफमनी लोड्रिंग एक्ट ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष नियुक्त किया है। 23 अगस्त को हाईकोर्ट से रिटायर हुए न्यायाधीश गौर आगामी 23 सितम्बर को ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे। कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं को न्यायाधीश गौर की नई नियुक्ति उचित नहीं लग रही है। असल में रिटायरमेंट से दो दिन पहले ही 21 अगस्त को न्यायाधीश गौर ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी, इसलिए सीबीआई चिदंरबम को 22 अगस्त की रात को गिरफ्तार कर सकी। कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि न्यायाधीश गौड ने पी चिदंबरम की जमानत खारिज की, इसलिए केन्द्र सरकार ने ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष बनाकर उपकृत किया है। असल में कांग्रेस अपने 55 वर्ष के शासन में ऐसा ही करती आई थी, इसलिए अब उसी नजरिए से सोचा जा रहा है, जबकि न्यायाधीश गौर ने सभी सबूतों को देखते हुए संवैधानिक तरीके से जमानत खारिज की। यह संयोग ही है कि न्यायाधीश गौड दो दिन बाद रिटायर हो रहे थे। हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाती है और इस समय सीजेआई के पद पर जस्टिस रंजन गोगोई बैठे हैं, जिनकी ईमानदारी पर कांग्रेस को भी शक नहीं है। जहां तक न्यायाधीश गौर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष बनाए जाने का सवाल है तो ऐसे महत्वपूर्ण ट्रिब्यूनल में सुनील गौर जैसे ईमानदार न्यायाधीश की ही नियुक्ति होनी चाहिए। यदि न्यायाधीश गौड कानून के दायरे में चिदंबरम की अग्रिम जमानत खारिज नहीं करते तो चिदंबरम कानून के शिकंजे में कैसे आते? राजनीति में से भ्रष्टाचार तभी खत्म होगा, जब चिदंबरम जैसे राजनेता गिरफ्तार होकर जेल जाएंगे। एक तरफ आम धारणा है कि राजनेता कितना भी भ्रष्टाचार कर लें, लेकिन उनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती। इस धारणा को तोडऩे का काम ही न्यायाधीश गौर ने किया है। चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई के पास भ्रष्टाचार के जो सबूत हैं उनसे अब सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिल रही है। अब साफ हो गया है कि चिदंबरम ने केन्द्रीय वित्त मंत्री की हैसियत से जो निर्णय किए, उनकी एवज में आईएनएक्स मीडिया जैसी कंपनियों ने उनके पुत्र कार्ति चिदंरबम की कंपनियों में करोड़ों की राशि जमा करवाई।