अब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भाजपा विधायकों से मुलाकात करने का सिलसिला शुरू किया।

अब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भाजपा विधायकों से मुलाकात करने का सिलसिला शुरू किया। भाजपा संगठन में नहीं है कोई महत्त्व।

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13 सितम्बर को पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे ने भाजपा के तीन विधायक रामस्वरूप लाम्बा (नसीराबाद), हरेन्द्र नीनामा (घाटोल) तथा कैलाश मीणा (गढ़ी) से जयपुर स्थित अपने आवास पर एक मिनट की मुलाकात की। एक समय था जब वसुंधरा राजे से एक मिनट की मुलाकात के लिए मंत्री, केन्द्रीय मंत्री, आईएएस अफसरों, विधायकों और बड़े नेताओं को कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता था। मुलाकात पूरी तरह वसुंधरा राजे के मूड़ पर निर्भर करती थी। सब जानते हैं कि 2013 से 2018 तक वसुंधरा राजे ने किस राजशाही अंदाज में राजस्थान में भाजपा की सरकार चलाई। वसुंधरा राजे के इस रवैए की कीमत भाजपा को अपनी सरकार गवां कर चुकानी पड़ी। वसुंधरा राजे का भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति बेरुखी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया तो आज तक भी इस दायित्व को नहीं संभाला है। यही वजह रही कि पिछले लोकसभा चुनाव में राजे की कोई भूमिका नहीं रखी गई। भाजपा ने राजे के बगैर ही प्रदेश की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की। गत विधानसभा चुनाव के बाद से ही राजे भाजपा की राजनीति से अलग थलग हैं। प्रदेश संगठन सारी रणनीति राजे की गैर मौजूदगी में ही तैयार कर रहा है। यह तब है कि जब मदनलाल सैनी के निधन के बाद से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का पद रिक्त पड़ा है। इस समय प्रदेश संगठन की कमान संगठन महासचिव चन्द्रशेखर के हाथ में हैं। चन्द्रशेखर इस दायित्व को बखूबी निभा रहे हैं। चूंकि राजे को अब संगठन में कोई महत्त्व नहीं मिल रहा है, इसलिए भाजपा के विधायकों से मिलने का सिलसिला शुरू किया है। ऐसे विधायक अपनी इच्छा से राजे के निवास पर नहीं जा रहे ताकि उन्हें राजे से मुलाकात करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। अब तो मुलाकात के बाद कक्ष के बाहर आकर विधायकों के साथ राजे फोटो भी  खींचवा रही हैं। राजे और उनके चमचों को भी पता है कि राजे की विधायकों से मुलाकात वाली खबर अखबरों में भी हीं छपेगी। इसलिए वसुंधरा राजे खुद अपने फेसबुक पेज पर फोटो को पोस्ट कर रही है। सवाल यह भी है कि आखिर भाजपा विधायकों से मुलाकात का सिलसिला राजे ने क्यों शुरू किया है? क्या राजे भाजपा की राजनीति में अपना महत्त्व दिखाना चाहती हैं? लेकिन राजे वो इस राजनीति को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि जिस व्यक्ति के पास ताकत होती है उसके पास विधायक जाते हैं।
गहलोत की मेहरबानी से सरकारी बंगले में:
वसुंधरा राजे जयपुर के सिविल लाइन के जिस सरकारी बंगाल संख्या 13 में मुफ्त में रह रही हैं, उसमें कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मेहरबानी है। हाईकोर्ट ने विगत दिनों ही आदेश दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगले और अन्य सुविधाओं के हकदार नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद राजे की यह बंगला खाली करना चाहिए, लेकिन अब राजे मुख्यमंत्री गहलोत की मेहरबानी से बंगले में रह रही है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद गहलोत का कहना रहा कि सरकार वसुंधरा राजे को विधायक होने के नाते भी इसी बंगले को आवंटित कर सकती है। अब देखना है कि धौलपुर राजघराने की महारानी वसुंधरा राजे कांग्रेस सरकार की मेहरबानी से सरकारी बंगले में रहती है या फिर हाईकोर्ट के आदेश और नैतिकता के तौर पर बंगले को खाली करती है।
पेड़ भी लगाए:
14 सितम्बर को राजनीतिक मजबूरी के चलते पूर्व सीएम राजे ने भाजपा के सेवा सप्ताह के विभिन्न कार्यक्रमों में जयपुर के मूक बधिर विद्यालय में पौधरोपण भी किया। सेवा सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जा रहा है।
एस.पी.मित्तल) (14-09-19)
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