अशोक गहलोत के राजनीतिक कौशल से सोनिया गांधी का रुतबा भी बढ़ा।
राजस्थान में अब सता का एक ही केन्द्र होगा।
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बसपा के सभी छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर जो राजनीतिक कौशल दिखाया है, उससे कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी का रुतबा भी बढ़ा है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद कई राज्यों में कांग्रेस के विधायक भाजपा या क्षेत्रीय दलों में शामिल हो रहे थे, जिससे कांग्रेस की आए दिन बदनामी हो रही थी। चूंकि राहुल गांधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके थे, इसलिए संगठन पर कोई नियंत्रण नहीं था। लेकिन हाल में सोनिया गांधी के दोबारा से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने के बाद कांग्रेस के लिए यह पहली खुशखबरी है कि राजस्थान में बसपा का सूपड़ा साफ कर दिया। अब श्रीमती गांधी भी कह सकती है कि उन्होंने जो रणनीति अपनाई उसी का परिणाम है कि बसपा के सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। असल में राहुल गांधी के कार्यकाल में राजस्थान में भी कांग्रेस के दो पावर सेंटर थे, लेकिन सोनिया गांधी ने राहुल का फार्मूला खत्म करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर ही भरोसा जताया। अब चूंकि प्रदेश में एक ही पावर सेंटर हैं तो परिणाम भी सामने आ रहे है। सूत्रों की माने तो बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने पर सोनिया ने अशोक गहलोत को फोन कर शाबाशी दी है। गहलोत अब अपने नजरिए से मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे तथा राजनीतिक नियुक्तियों का दौर भी शुरू होगा। गहलोत यह अपने विवेक से करेंगे। असल में गहलोत को भी पता है कि विधायकों के संतुष्ट रहने पर ही सरकार स्थायी होती है। कोई नेता कितनी भी चिल्ल पौं कर ले, लेकिन विधायकों का साथ नहीं है तो उसका कोई महत्त्व नहीं है। जब गहलोत बसपा के विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवा सकते हैं तब कांग्रेस के विधायकों को संतुष्ट रखना बड़ी बात नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि विधायकों को गहलोत की जुबान पर भरोसा है। गहलोत अपने वायदे से कभी नहीं मुकरते हैं, जबकि कांग्रेस के दूसरे नेता सुबह कुछ वायदा करते हैं और शाम को कुछ। अब बसपा विधायकों से जो वायदा किया है उसे गहलोत जल्द ही पूरा करेंगे। सोनिया गांधी ने भी गहलोत को सरकार चलाने की पूरी छूट दे दी है। अब गहलोत को बार बार दिल्ली भी नहीं जाना पड़ेगा।
एस.पी.मित्तल) (18-09-19)
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