आईएएस रेणु जयपाल भी हो सकती हैं अजमेर में कांग्रेस से मेयर की उम्मीदवार।

आईएएस रेणु जयपाल भी हो सकती हैं अजमेर में कांग्रेस से मेयर की उम्मीदवार।
भाजपा में जिला प्रमुख वंदना का दावा कमजोर। 

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राज्य स्तर पर निकाली गई लॉटरी में अजमेर नगर निगम के मेयर का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित हुआ है। चुनाव अगले वर्ष अगस्त में होंगे। हालांकि मेयर बनने के लिए पहले पार्षद बनना जरूरी नहीं है। यानि मेयर की कुर्सी पर बैठने के बाद भी पार्षद का चुनाव लड़ा जा सकता है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मोदी लहर में यह फैसला बहुत सोच विचार कर किया है। इससे बड़े परिवारों, आईएएस आरएएस जैसे बड़े अधिकारियों आदि को आकर्षित किया जा सकता है। भले ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट सरकार के इस फैसले का विरोध करें, लेकिन सरकार का यह फैसला कांग्रेस को प्रभावशाली उम्मीदवार तलाशने में मदद करेगा। इसका सबसे मजबूत उदाहरण अजमेर में मेयर के पद पर आईएएस सुश्री रेणु जयपाल की संभावना है। रेणु का पूरा परिवार राजनीति में रमा है। पिता जसराज जयपाल और माता स्वर्गीय भगवती देवी कांग्रेस सरकारों में मंत्री रह चुकी हैं। भाई डॉ. राजकुमार जयपाल मौजूदा समय में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं तथा अजमेर दक्षिण क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं। पिता-पुत्र की राजनीति में अभी भी सक्रियता है। विधानसभा के हर चुनाव में डॉ. जयपाल सुरक्षित क्षेत्र दक्षिण से उम्मीदवारी जताते हैं। रेणु जयपाल पिता और भाई के परिवार के साथ ही रहतीं हैं, लेकिन यह सही है कि रेणु राजनीति से दूर रहती हैं। रेणु का चयन आरएएस में हुआ था, लेकिन हाल में उनकी पदोन्नति आईएस में हुई है और इस समय रेणु अजमेर में ही राजस्थान लोक सेवा आयोग की सचिव हैं। इससे पहले रेणु अजमेर में ही पंजीयक एवं मुद्रांक विभाग की महानिरीक्षक थीं। आरएएस के पद पर रहते हुए रेणु की अधिकांश पोस्टिंग अजमेर में ही रही है। अजमेर क्लब के अध्यक्ष के पद पर काबिज डॉ. जयपाल भले ही विवादों में रहे हों, लेकिन रेणु की छवि साफ-सुथरी और परिवार से एक दम अलग है। प्रशासनिक क्षेत्र में भी रेणु की ईमेज ईमानदार, मेहनती और सख्त अधिकारी हैं। यही वजह है कि इस समय भी रेणु जयपाल चुनाव आयोग की ओर से महाराष्ट्र में पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रही हैं। जानकारों के अनुसार रेणु की सेवा निवृत्ति में अभी 6 वर्ष शेष हैं। अजमेर में अगले वर्ष अगस्त में मेयर के चुनाव होने हैं। यानि तब तक आठ माह और गुर्जर जाएंगे। यदि रेणु मेयर बनती है तो पांच वर्ष इस पद रहेंगी। यानि आईएएस की नौकरी के बराबर। हालांकि अभी रेणु की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन यदि रेणु मेयर बनती हैं तो मेयर के बाद सक्रिय राजनीति में बने रहने का अवसर भी हैं। कांग्रेस को भी दक्षिण क्षेत्र से एक मजबूत उम्मीदवार मिल जाएगा। अभी पिछले चार बार से कांगे्रस को हार का सामना करना पड़ रहा है। रेणु अजमेर के आम लोगों के लिए जाना पहचाना चेहरा हैं क्योंकि अधिकांश नौकरी अजमेर शहर में ही की है। यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रेणु जयपाल को मेयर का उम्मीदवार बनवाने में सफल होते हैं तो यह कांग्रेस के लिए बड़ी उपलब्धि है। अलबत्ता डॉ. जयपाल की पत्नी श्रीमती रंजू जयपाल, पूर्व मेयर कमल बाकोलिया की पत्नी श्रीमती लीला बाकोलिया, महिला कांग्रेस प्रदेश मंत्री मंजू बलाई, पार्षद वंदना नरवाल, उर्मिला नायक, द्रौपदी, रेखा पिंगोलिया, पूर्व पार्षद तरादेवी यादव, नीता केन आदि के नाम तो चर्चाओं में हैं ही। रेणु जयपाल की उम्मीदवारी पूरी तरह उनके व्यक्तिगत निर्णय पर निर्भर करती है। परिवार का कोई सदस्य भी उन पर दबाव डालने की स्थिति में नहीं है। रेणु ने राजनीति में कभी रुचि भी नहीं दिखाई है।
नोगिया का दावा कमजोर:
हालांकि जिला प्रमुख वंदना नोगिया ने कहा है कि यदि पार्टी उम्मीदवार बनाएगी तो वह अजमेर के मेयर का चुनाव भी लड़ेंगी। नोगिया का जिला प्रमुख का कार्यकाल दिसम्बर में समाप्त हो  रहा है। नोगिया मौजूदा समय में ग्रामीण क्षेत्र की मतदाता है, लेकिन बदली हुई परिस्थिति में वे शहरी क्षेत्र की मतदाता बनने जा रही हैं। ताकि मेयर के पद पर अपनी दावेदारी जता सके। लेकिन वंदना की दावेदारी का दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अनिता भदेल के द्वारा ही विरोध किए जाने की संभावना हैं। शहर भाजपा के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने भी कहा है कि दावेदारी तो कोई भी प्रस्तुत कर सकता है, लेकिन पार्टी किसे उम्मीदवार बनाएगी, यह सामूहिक निर्णय पर होता है। अजमेर शहर में भी एससी वर्ग की महिलाओं की कोई कमी नहीं है। अनेक कार्यकर्ता पहले से ही संगठन में सक्रिय हैं। जानकारा सूत्रों के अनुसार जिला प्रमुख के पद पर नोगिया का प्रभावी कार्यकाल नहीं रहा है। हालांकि वे पूरे पांच वर्ष भाजपा की जिला प्रमुख सही लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से उनका तालमेल नहीं रहा। यहां तक कि उप जिलाप्रमुख टीकम चौधरी से भी तालमेल नहीं रहा। अलबत्ता भाजपा में पूर्व मंत्री श्रीकिशन सोनगरा की पुत्रवधु इंदू सोनगरा, डॉ. प्रियशील हाड़ा की पत्नी राजबाला हाड़ा को लेकर भी चर्चाएं हैं।
एस.पी.मित्तल) (21-10-19)
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