बसपा के छह विधायकों की सदस्यता अब सोनिया गांधी के सामने होगी।
बसपा के छह विधायकों की सदस्यता अब सोनिया गांधी के सामने होगी।
मुलाकात के बाद बेहद उत्साहित नजर आए सीएम अशोक गहलोत।
मैंने भाजपा का घमंड चूर किया।
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एक नवम्बर को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से उनके निवास पर मुलाकात की। मुलाकात के बाद सीएम गहलोत बेहद उत्साहित नजर आए। गहलोत के उत्साह से प्रतीत हो रहा था कि हाल ही के उपचुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन, छह बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाने तथा पिछले दस माह में सरकार को कुशलता से चलाने जैसे मुद्दों पर सोनिया गांधी ने गहलोत को पीठ थपथपाई है। यही वजह रही कि मीडिया से संवाद करते हुए गहलोत ने कहा कि अब बसपा के सभी छह विधायकों की कांग्रेस में ज्वाइनिंग राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के समक्ष होगी, इसके लिए दिल्ली में सोनिया गांधी के आवास पर एक समारोह रखा जाएगा। मालूम हो कि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बसपा विधायकों को कांग्रेस विधायक के तौर पर मान्यता दे दी है, लेकिन अभी तक भी इन विधायकों ने राजनीतिक स्तर पर विधिवत तौर पर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण नहीं की है। पहले सदस्यता ग्रहण का समारोह प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में होना था, लेकिन राजनीतिक खींचतान के चलते ऐसा संभव नहीं हुआ। अब जब सोनिया गांधी ने सहमति दे दी है तो बसपा विधायकों की ज्वाइनिंग राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौजूदगी में होगी। गहलोत ने कहा कि मैंने बसपा के सभी छह विधायकों को कांग्रेस में इसलिए शामिल करवाया ताकि भाजपा का घमंड तोड़ा जा सके। भाजपा ने जैसे कर्नाटक में विधायकों की खरीद फरोख्त कर सरकार बनवाई वैसे ही प्रयास मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी किए जा रहे थे। हालांकि कांग्रेस और भाजपा के विधायकों में बहुत गेप था लेकिन फिर भी भाजपा राजस्थान में सक्रिय थी। मुझे खुशी है कि प्रदेश में स्थिर सरकार देने के लिए बसपा के सभी छह विधायकों ने कांग्रेस का समर्थन किया। सभी विधायक बगैर किसी शर्त और प्रलोभन के कांग्रेस में आए हैं। अब राजस्थान में मेरे नेतृत्व में कांग्रेस की मजबूत सरकार है। मंत्रिमंडल के गठन के सवाल पर मीडिया से नाराजगी जताते हुए गहलोत ने कहा कि यह संगठन की बातें हैं, इसलिए मेरे जैसे मुख्यमंत्री से मीडिया को काल्पनिक सवाल नहीं करने चाहिए। गहलोत ने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे महाराष्ट्र के चुनावों में व्यस्त थे, इसलिए राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों में विलम्ब हुआ है। चूंकि अब पांडे महाराष्ट्र के चुनावों से फ्री हो गए हैं, इसलिए संगठन के स्तर पर विचार विमर्श कर प्रदेश में नियुक्तियों का काम होगा। कांग्रेस में एक प्रक्रिया के तहत ही नियुक्तियां होती हैं।
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