वकील और पुलिस का तो चोली दामन का साथ है।
वकील और पुलिस का तो चोली दामन का साथ है।
तो फिर दिल्ली में वकीलों के खिलाफ पुलिस वाले सड़कों पर क्यों?
काश! यह चोली दामन वाली दोस्ती टूट जाए।
दोषी वकीलों पर कार्यवाही होगी-बीसीआई।
पुलिस कमिश्नर की अपील बेअसर।
5 नवम्बर को भारत की राजधानी दिल्ली में पुलिस कर्मियों ने जमकर प्रदर्शन किया। जिन पुलिस कर्मियों पर आम लोगों की सुरक्षा का जिम्मा है, वहीं पुलिस कर्मी स्वयं की सुरक्षा के लिए गुहार लगा रहे थे। देश के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब दिल्ली में पुलिस वालों ने इस तरह सड़कों पर जाम लगा दिया। दिल्ली पहले दम घोंटू धुएं से परेशान है उस पर जाम से तो आम आदमी का जीना दुभर हो गया। पुलिस वाले मांग कर रहे हैं कि जिन वकीलों ने पुलिस कर्मियों को पीटा है उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाए तथा उन्हें सुरक्षा मुहिया करवाई जाए। पुलिस वालों को कौन सुरक्षा देगा, यह सवाल अपने आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि पुलिस कर्मी तो दूसरों को सुरक्षा देते हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस के बड़े अधिकारी अपने जवानों को समझाने में लगे हुए हैं। अधिकारियों ने दोषी वकीलों के विरुद्ध कार्यवाही का आश्वासन भी दिया है। पुलिस और वकीलों के झगड़े में कौन दोषी है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन आम धारण है कि पुलिस और वकीलों में तो चोली दामन का साथ है। आम व्यक्ति की कई बार यही पीड़ा होती है कि पुलिस और वकील आपस में मिल गए। आज पुलिस वाले भले ही वकीलों पर पिटाई का आरोप लगा रहे हों, लेकिन दिल्ली ही नहीं देश भर के पुलिस थानों में वकीलों को बुलाकर मुकदमें दिए जाते हैं। चोली दामन की दोस्ती होने की वजह से ही अदालत का फैसला ही अनुकूल आता है। पुलिस से दोस्ती की वजह से ही अनेक वकील कुछ दिनों में करोड़पति बन जाते हैं। असल में आपराधिक मामलों में तो साराखेल पुलिस और वकीलों का ही होता है। जो वकील चोली दामन की दोस्ती रखता है वह फटाफट मालदार हो जाता है और जो वकील अपनी मेहनत पर भरोसा रखता है उसे अपना नाम स्थापित करने में वर्षों लग जाते हैं। वकील और पुलिस दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं। समझ में नहीं आता कि दिल्ली की पुलिस और वकील आमने सामने क्यों हो गए? वैसे आम जनता के हित में यही अच्छा है कि चोली दामन वाली दोस्ती टूट जाए। पुलिस पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ अनुसंधान और अदालत में वकील कानून के अनुरूप पैरवी करें। आज भले ही पुलिस वाले वकीलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हो और वकील भी पुलिस के खिलाफ अदालतों का बहिष्कार करें, लेकिन दोनों ही नहीं चाहेंगे कि चोली दामन वाली दोस्ती टूटे। जो व्यक्ति ऐसी दोस्ती का पीडि़त रहा है उसे तो दिल्ली का माहौल देख कर आश्चर्य हो रहा है। असल में वकील और पुलिस दोनों ही समुदाय संगठित और ताकतवर हैं। दो ताकतवर ज्यादा समय तक झगड़ा नहीं कर सकते हैं। पुलिस को भी पता है कि अदालतों में वकीलों के बगैर काम नहीं चलेगा। इसी प्रकार वकीलों भी अपनी स्थिति को जानते हैं। वैसे भी देश की राजधान में पुलिस का सड़कों पर उतरना उचित नहीं है। दिल्ली में हमेशा आतंकी वारदातों की आशंश बनी रहती है। ऐसे में पुलिस कर्मियों का कार्य बहिष्कार बेहद खतरनाक हे। केन्द्रीय गृह मंत्रालय को दिल्ली के पुलिस कर्मियों की सुरक्षा के भी इंतजाम करने चाहिए।
दोषी वकीलों पर कार्यवाही होगी:
बार कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्र ने कहा है कि जिन वकीलों ने पुलिस कर्मियों की पिटाई की है तथा कुछ स्थानों पर तोडफ़ोड़ की है उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। मिश्र ने कहा कि संबंधित बार एसोसिएशन से ऐसे वकीलों के नाम मंगवाए गए हैं उन्होंने कहा कि वकालत का पेशा कानून की रक्षा करने वाला है। ऐसे में किसी भी वकील को कानून तोडऩे का अधिकार नहीं दिया जा सकता है। दोषी वकीलों के विरुद्ध 48 घंटे में कार्यवाही हो जाएगी। लेकिन इसके साथ ही मिश्र ने कहा कि जिस प्रकार बीसीआई कार्यवाही कर रही है, उसी प्रकार पुलिस प्रशासन को भी अपने दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए। जिस पुलिस अधिकारी ने तीस हजारी कोर्ट में वकील के सीने में गोली मारी वह अभी तक भी गिरफ्तार नहीं हुआ है। पुलिस को दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।
अपील बेअसर:
दिल्ली स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर धरना दे रहे हजारों पुलिस कर्मियों से पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने अपील की कि धरना प्रदर्शन को समाप्त कर दिया। पटनायक का कहना रहा कि पुलिस कानून से बंधी हुई है और पुलिस कर्मियों का काम आम लोगों को हिफाजत करना है। पटनायक ने माना की मौजूदा समय परीक्षा और धैर्य का है। उन्होंने पुलिस कर्मियों को भरोसा दिलाया कि जिन लोगों ने कानून हाथ में लेकर पुलिस कर्मियों को प्रताडि़त किया उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। पुलिस कमिश्नर की इस अपील का प्रदर्शन कारियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। देर शाम तक भी हजारों पुलिस कर्मी धरने पर बैठे रहे, जिससे दिल्ली की कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लग गया है।
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