तो क्या सम्पत सांखला बन जाएंगे अजमेर के मेयर?
तो क्या सम्पत सांखला बन जाएंगे अजमेर के मेयर? कांग्रेस सरकार के न्यायिक जांच के निर्णय के बाद मेयर धर्मेन्द्र गहलोत पर फिर लटकी निलंबन की तलवार।

गहलोत समर्थकों को निलंबन की उम्मीद नहीं:
वहीं मेयर धर्मेन्द्र गहलोत के समर्थकों को निलंबन की उम्मीद नहीं है क्योंकि कांग्रेस सरकार को निलंबित करना होता तो पहले ही कर देती। पूर्व में गहलोत को निलंबन का नोटिस भी दिया जा चुका है। इस नोटिस को गहलोत ने हाईकोर्ट में चुनौती भी दे रखी है। जहां तक न्यायिक जांच के निर्णय का सवाल है तो यह एक सामान्य प्रक्रिया है। प्रशासनिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद सरकार किसी रिटायर न्यायिक अधिकारी से जांच करवाती ही है। न्यायिक जांच में पांच वर्ष से अधिक का समय लगता है। जिन 13 कॉमर्शियल नक्शों की स्वीकृति में गहलोत को दोषी माना जा रहा है उसमें गहलोत पूर्व में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के समक्ष अपना पक्ष रख आएं हैं। सरकार ने तभी कोई कार्यवाही नहीं की तो अब निलंबन की कार्यवाही की उम्मीद गहलोत के समर्थकों को नहीं है। फिर भी अपने अधिकारों के प्रति गहलोत जागरुक हैं।
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