राजस्थान की रोडवेज बसों को अब परिवहन विभाग ही देगा फिटनेस सर्टीफिकेट।

राजस्थान की रोडवेज बसों को अब परिवहन विभाग ही देगा फिटनेस सर्टीफिकेट।
जबकि कॉमर्शियल वाहनों के मालिक प्राइवेट एजेंसियों के चंगुल में फंसे हैं।
मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की पहल। 

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राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के निर्देशों पर अब रोडवेज की बसों को फिटनेस का सर्टीफिकेट संबंधित प्रादेशिक एवं जिला परिवहन कार्यालयों से ही दिए जाएंगे। प्रादेशिक परिवहन अधिकारी और जिला परिवहन अधिकारी द्वारा जारी फिटनेस सर्टीफिकेट रोडवेज बसों के लिए मान्य होंगे। परिवहन विभाग के अपर परिवहन आयुक्त आरसी यादव ने यह आदेश 11 नवम्बर को जारी किया है। असल में पिछले कई माह से यह लगातार शिकायत आ रही थी कि जिन प्राइवेट एजेंसियों के पास कॉमर्शियल वाहनों को फिटनेस सर्टीफिकेट देने का काम है वह एजेंसियां वाहन मालिकों को नाजायजा परेशान कर रही है। निर्धारित शुल्क से ज्यादा वसूली के आरोप लगते रहे। चूंकि यह निर्णय केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत हुआ था, इसलिए राजस्थान की रोडवेज बसों को भी इन्हीं प्राइवेट एजेंसियों से फिटेनस सर्टीफिकेट लेना पड़ रहा था। रोडवेज बसों के चालकों ने कई बार एजेंसियों की मनमानी की शिकायत की थी, लेकिन इस बार ऐसी शिकायतों को राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने गंभीरता के साथ लिया। खाचरियावास की पहल पर ही रोडवेज की बसों को प्राइवेट एजेंसियों के चंगुल से बाहर कर दिया गया है। सवाल उठता है कि जब रोडवेज की बसों को एजेंसियों के चंगुल से मुक्त करा लिया गया है तो फिर कॉमर्शियल वाहनों के मालिकों को राहत प्रदान क्यों नहीं की जाती? क्या एक प्रदेश में दो कानून होंगे? कॉमर्शियल वाहनों के मालिक तो प्राइवेट एजेंसियों से फिटेनस सर्टीफिकेट हासिल करें, जबकि रोडवेज की बसें परिवहन विभाग से। जाहिर है कि मोटर वाहन अधिनियम में अब अलग अलग नियम लागू कर दिए गए हैं। जब रोडवेज बसों का फिटनेस सर्टीफिकेट परिवहन अधिकारी से लिया जा सकता है तो फिर ऐसी सुविधा कॉमर्शियल वाहनों के मालिकों को क्यों नहीं दी जा रही? जब सरकार के मंत्री यह मानते हैं कि प्राइवेट एजेंसियां नाजायज तंग कर रही है, तो फिर ऐसी एजेंसियों के विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं होती?
कॉमर्शियल वाहन मालिकों को भी छूट मिले:
राजस्थान यूथ बोर्ड के पूर्व सदस्य और भाजपा के युवा नेता देवेन्द्र सिंह शेखावत ने परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से मांग की है कि जिस प्रकार रोडवेज बसों को परिवहन कार्यालय से फिटनेस का सर्टीफिकेट लेने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। उसी प्रकार जिला स्तर पर कॉमर्शियल वाहनों के मालिकों को भी राहत प्रदान की जाए। शेखावत ने आरोप लगाया कि प्राइवेट एजेंसियां बेवजह वाहन मालिकों को तंग करती है। अजमेर जिले में नसीराबाद की एक एजेंसी को फिटनेस सर्टीफिकेट जारी करने का ठेका दे रखा है। जिले भर के वाहन मालिकों को नसीराबाद में आकर फिटनेस सर्टीफिकेट हासिल करना होता है, जबकि ऐसी सुविधा जिला मुख्यालय पर उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। शेखावत ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने भेदभाव को समाप्त नहीं किया तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
एस.पी.मित्तल) (08-11-19)
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