तो सरकार का हाईब्रिड फार्मूला निकाय प्रमुख के चुनाव में लागू रहा।
गहलोत सरकार ने अपनी ही पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष का सम्मान नहीं किया-भाजपा।
झुंझुनूं जिले की बिसाऊ नगर पालिका में अध्यक्ष पद के लिए गैर पार्षद जैतून बानो के आवेदन करने से जाहिर है कि प्रदेश के निकाय चुनावों में हाईब्रिड फार्मूला लागू रहा है। बिसाऊ नगर पालिका के निर्वाचन अधिकारी डॉ. अमित यादव ने बताया कि गैर पार्षद जैतून बानो का अध्यक्ष पद के लिए आवेदन स्वीकार किया गया है। उल्लेखनीय है कि सरकार के इस फार्मूले का प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने खुला विरोध किया था। बाद में सरकार ने अपने इस फार्मूले को वापस ले लिया। सरकार की ओर से कहा गया कि निकाय प्रमुख का चुनाव लडऩे के लिए पार्षद होना अनिवार्य रहेगा। लेकिन बिसाऊ नगर पालिका का उदाहरण बताता है कि सरकार ने अपना पूर्व फैसला वापस नहीं लिया है। भाजपा के प्रदेश मंत्री मुकेश दाधीच ने कहा कि इससे सरकार की कथनी और करनी का पता चलता है। दाधीच ने कहा कि प्रदेश की अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार ने अपनी ही पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष का सम्मान नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अब सरकार को यह बताना चाहिए कि किन हालातों में जैतून बानो का आवेदन स्वीकार हुआ है। भले ही तकनीकी कारणों से जैतून बानो का आवेदन निरस्त हो जाए, लेकिन आवेदन स्वीकार होना अपने आप में महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार बार पारदर्शिता और ईमानदारी की बात कहते हैं। लेकिन निकाय चुनावों की प्रक्रिया से जाहिर हो गया है कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। दाधीच ने कहा कि अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पायलट को भी अपनी स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए। क्योंकि सरकार के बयान के बाद पायलट ने कहा था कि सरकार ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भावनाओं के अनुरूप फैसला किया है। तब यही माना गया कि पायलट के दबाव की वजह से ही सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा है। लेकिन अब प्रतीत होता है कि सरकार ने अपनी ही पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष का सम्मान नहीं किया है। दाधीच ने आरोप लगाया कि निकाय प्रमुखों के चुनाव में कांग्रेस सत्ता का जमकर दुरुपयोग कर रही है। निर्दलीय पार्षदों को डराया धमकाया जा रहा है।
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