मुस्लिम कानून की तर्ज पर हैदराबाद में बलात्कारियों की सजा का फैसला।
मुस्लिम कानून की तर्ज पर हैदराबाद में बलात्कारियों की सजा का फैसला।
पुलिस और मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव ने तो अपना काम कर दिया, अब देश में बहस होती रहे। अब मानवाधिकारों के हिमायती क्या कहेंगे?
5 व 6 दिसम्बर की रात को बहुचर्चित हैदराबाद रेप मर्डर केस के चारों आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। हैदराबाद पुलिस अब बता रही है कि 27 नवम्बर की रात को इसी स्थान पर आरोपियों ने महिला डॉक्टर का गैंगरेप किया और आग लगा कर हत्या कर दी थी। क्राइम के इस सीज का ही रिक्रिएशन किया जा रहा था कि तभी आरोपियों ने मौके से भागने का प्रयास किया तो पुलिस ने गोली चला कर चारों को मौत के घाट उतार दिया। हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर के बारे में अब कितनी भी सफाई दे, लेकिन पूरा देश हैदराबाद पुलिस और तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव की प्रशंसा कर रहा है। 27 नवम्बर की रात को जब महिला डॉक्टर का गैंग रेप और मर्डर हुआ, तभी से मांग की जा रही थी कि जिस प्रकार मुस्लिम देशों में बलात्कारियों को सार्वजनिक स्थल पर फांसी दी जाती है उसी प्रकार हैदराबाद के आरोपियों को भी सजा दी जाए। अनेक मुस्लिम देशों में बलात्कारी को फांसी देने का ही प्रावधान है। सब जानते हैं कि हमारे देश में न्यायिक प्रक्रिया बहुत जटिल है। दिल्ली में सात वर्ष पहले हुए निर्भया गैंगरेप के आरोपियों को अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया गया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट तक ने फांसी की सजा बहाल रखी है। ऐसे में जब हैदराबाद पुलिस ने महिला डॉक्टर के आरोपियों को एनकाउंटर में मार गिराया तो समाज के हर वर्ग में प्रसन्नता है। पूरे देश में ऐसा लग रहा है कि उनकी भावनाओं के अनुरूप बलात्कारियों को सजा मिल गई है। हालांकि अभी चोरों आरोपियों को कोर्ट ने फांसी की सजा नहीं दी थी, लेकिन हैदराबाद पुलिस ने लोगों की भावनाओं के अनुरूप फैसला कर दिया था। देश का कोई नागरिक नहीं चाहता था कि निर्भया के मामले की तरह अदालतों में सुनवाई हो। महिला डॉक्टर के रेप मर्डर केस में देशवासी तत्काल कार्यवाही चाहते थे। चूंकि हमारे देश में लोकतंत्र हैं, इसलिए लोकतंत्र और संविधान के दायरे में ही चारों बलात्कारियों का एनकाउंटर किया गया। हैदराबाद पुलिस का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के तहत एनकाउंटर की जांच भी करवाई जाएगी। यानि सुप्रीम कोर्ट तक को जवाब देने की तैयारी है। हैदराबाद पुलिस ने इतनी बड़ी कार्यवाही अकेले अपने स्तर पर नहीं की होगी। इसके लिए मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव को विश्वास में लिया होगा। मुख्यमंत्री की हरी झंडी के बाद ही बलात्कारियों का एनकाउंटर हुआ। इसके लिए मुख्यमंत्री राव की भी सराहना की जानी चाहिए। राव ने हैदराबाद पुलिस को देश की भावनाओं के अनुरूप फैसला करने की छूट दी।
हिमायती अब क्या कहेंगे:
सवाल उठता है कि मानवाधिकारों के हिमायती अब क्या कहेेंगे? क्या अभी बलात्कारियों के मानवाधिकारों की आवाज उठाई जाएगी? असल में हैदराबाद पुलिस और तेलंगाना के मुख्यमंत्री राव को भी पता था कि बलात्कारियों को बचाने के लिए मानवाधिकार कार्यकर्ता भी सामने आएंगे, इसलिए पुलिस ने सात दिन में काम तमाम कर दिया। अब टीवी चैनलों पर बैठकर बहस करते रहेंगे। पुलिस को जो करना था वो कर दिया। इसमें कोई दो राय नहीं कि तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख और मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव ने एक ही फैसले से देश में तेलंगाना की अलग पहचान बना दी है। राव के लम्बे संघर्ष के बाद ही आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना प्रदेश बनाया गया था। रावत तेलंगाना के पहले मुख्यमंत्री है।
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