दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी की हिंसा में दस गिरफ्तार, पर इनमें से एक भी विद्यार्थी नहीं।
अरबन नक्सलियों से सावधन रहे छात्र-प्रधानमंत्री।
सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इंकार।
गत 15 दिसम्बर की रात को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के परिसर में जो हिंसा हुई उसमें दस लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इनमें से तीन का आपराधिक रिकॉर्ड है। इस गिरफ्तारी में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि दस लोगों में से एक भी यूनिवर्सिटी का विद्यार्थी नहीं है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि हिंसा में बाहर के असामाजिक तत्वों का हाथ रहा है। पुलिस ने वीडियो फुटेज का अध्ययन करने के बाद ही अनेक लोगों को चयनित किया और अभी तक दस लोगों की गिरफ्तारी कर ली गई है। पुलिस ने कहा कि यूनिवर्सिटी के परिसर में जो भीषण पत्थरबाजी हुई उसकी भी गहनता से जांच करवाई जा रही है। यूनिवर्सिटी के परिसर में इतने मोटे पत्थर कहां से आए? पुलिस को कुछ स्थानों पर बोरों में भरे पत्थर भी मिले हैं। इससे प्रतीत होता है कि यूनिवर्सिटी में सुनियोजित तरीके से ङ्क्षहसा करवाई गई। इस बीच दिल्ली पुलिस ने केन्द्रीय गृहमंत्रालय को जो उपद्रवियों की जो रिपोर्ट भेजी उसमें उपद्रवियों की ओर से फायरिंग की बात भी कही गई है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि अवैध हथियारों से फायङ्क्षरग भी की गई। पुलिस का कहना है कि 15 दिसम्बर की रात को जो हिंसा हुई उसमें अनेक पुलिस वाले भी जख्मी हुए है। उपद्रवियों ने सरकारी बसों को आग लगा दी और निजी वाहनों में जमकर तोडफ़ोड़ की थी। जामिया यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं।अरबन नक्सलियों से सवाधान:
17 दिसम्बर को झारखड़ में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कह कि सरकार किसी भी मुद्दे पर विद्यार्थियों से संवाद करने को तैयार है। लेकिन किसी संस्थान के विद्यार्थियों को कत्थित बु़द्धिजीवियों और अरबन नक्सलियों से सावधान रहना चाहिए। ऐसे लोग अपने ऐजेंडे के तहत विद्यार्थियों को गुमराह कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि देश में शांतिपूर्ण तरीके से बड़े बड़े फैसले हो रहे हैं, चाहे जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करना हो या फिर राम मंदिर के निर्माण में आने वाले बाधाओं को हटाना हो। कुछ लोगों को इस बात से चिड़ हैं कि मोदी के शासन में बड़े बड़े फैसले शांति के साथ क्यों हो रहे हैं। हम सबने ने देखा कि अनुच्छेद 370 को लेकर डर दिखाया जा रहा है। कहा गया कि यदि अनुच्छेद 370 के साथ छेड़छाड़ की तो जम्मू कश्मीर में आग लग जाएगी। लेकिन हमने देखा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया भी गया और अब जम्मू कश्मीर विकास की राह पर चल निकला है। ऐसी शांति कथित बुद्धिजीवियों अरबन नक्सलियों को पच नहीं रही है।
दखल से इंकार:
17 दिसम्बर को अनेक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जामिया यूनिवर्सिटी हिंसा के प्रकरण में दखल करने से इंकार कर दिया। कोर्ट का कहना रहा कि याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट में शिकायत करनी चाहिए।
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