अर्थ व्यवस्था को लेकर देश में हो रही चर्चाओं से भलीभांति परिचित हंू, ऐसी चर्चाओं को चुनौती नहीं देता-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।
अर्थ व्यवस्था को लेकर देश में हो रही चर्चाओं से भलीभांति परिचित हंू, ऐसी चर्चाओं को चुनौती नहीं देता-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। पर 2014 से पहले की अर्थ व्यवस्था भी देखनी होगी। आज कॉरपोरेट टैक्स सबसे कम।
20 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में देश के उद्यमियों की संस्था एसोचैम की वार्षिक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अर्थ व्यवस्था को लेकर देश में जो चर्चाएं हो रही है, उससे मैं भालीभांति परिचित हंू। मैं ऐसी चर्चाओं को चुनौती भी नहीं दे रहा। लेकिन ऐसी चर्चाओं में ही हमें 2014 से पहले की अर्थ व्यवस्था भी देखनी होगी। पिछली सरकारों के समय भी जीडीपी 3.5 प्रतिशत तक गिर गई थी। तब अखबारों में अर्थ व्यवस्था को लेकर कैसी कैसी खबरें छपती थी, लेकिन आज सरकार ने जो उपाए किए हैं, उनसे जल्द ही हालात सुधरेंगे। इसलिए हमने 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य रखा है। सरकार ने जो कदम उठाए हैं उसी का परिणाम है कि विदेशी निवेश के क्षेत्र में भारत दुनिया के टॉप 10 देशों में शामिल हो गए हैं। देश के 13 बैंक वापस मुनाफा कमाने लगे हैं। बैंकों के एकीकरण के बाद अब हमारे बैंक भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भाग ले रहे हैं। उद्योग जगत को शिकायतें हो सकती है, लेकिन देश के पिछले 100 वर्षों में पहला अवसर है, जब कारपोरेट टैक्स सबसे कम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सारी अफलताएं आपराधिक नहीं हो सकती है। मैं एक ऐसे उद्यमी को जानता हंू जिसने अपने बेटे के लिए बैंक से लोन लेकर काम शुरू किया, लेकिन अचानक बेटे की मौत हो गई। ऐसे में उद्योग को चलाना मुश्किल होगा। हम ऐसे उद्योगपतियों की हमेशा मदद करेंगे। मुझे देशवासियों और उद्यमियों की दक्षता पर पूरा भरोसा है। जल्द ही हम इस दौर से बाहर निकलेंगे। उन्होंने उद्यमियों को खुलकर खर्च करने की सलाह दी। किसी भी उद्यमी के साथ गलत व्यवहार नहीं होगा। भविष्य के लिए हमारे इरादे स्पष्ट है। मेरी सरकार सामाजिक दायित्व भी निभाती है। 60 करोड़ परिवारों को खुले में शौच से मुक्ति दिलवाई है। 8 करोड़ लोगों के घरों में रसोई गैस उपलब्ध करवाई है। देश के अधिकांश लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया है। आज पूरा देश डिजीटल बैंकिंग की ओर तेजी से बढ़ रहा है। हमने लेबर यूनियन के सुझावों पर श्रमिकों की भलाई के अनेक निर्णय लिए है। मेरा मानना है कि बुद्धिमता, पंूजी और श्रम मिल कर ही उद्योग को सफल बनाते हैं।
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