ख्वाजा साहब की दरगाह में काली पट्टी बांध कर जुम्मे की नमाज अदा की।
ख्वाजा साहब की दरगाह में काली पट्टी बांध कर जुम्मे की नमाज अदा की। नागरिकता कानून रद्द करने की मांग।
20 दिसम्बर को अजमेर स्थित विश्वविख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हजारों मुसलमानों ने बांह पर काली पट्टी बांध कर जुम्मे की नमाज अदा की। दरगाह परिसर में अकबरी और शाहजानी मस्जिदें हैं। जुम्मे की नमाज के लिए आसपास के क्षेत्रों से मुसलमान आते हैं। 20 दिसम्बर को भी दरगाह परिसर की दोनों मस्जिदें नमाजियों से खचाखच भरी हुई थी। दरगाह परिसर में नमाज पढऩे वाले सभी नमाजियों ने अपनी बांह पर काली पट्टी बांध रखी थी। दरगाह के अलावा शहर भर की विभिन्न मस्जिदों में भी मुसलमानों ने काली पट्टी बांध कर नमाज अदा की। दरगाह क्षेत्र में बड़ी संख्या में काले झंडे लगाकर नागरिकता संशोधन कानून का विरोध किया। मुस्लिम प्रतिनिधियों का कहना रहा कि यह कानून भारत के संविधान की भावनाओं के खिलाफ है, इसलिए सरकार को तत्काल प्रभाव से इस कानून को रद्द करना चाहिए। मुस्लिम प्रतिनिधियों की ओर से ख्वाजा साहब की दरगाह के बाहर बेनर भी लगाए गए। जिस में नागरिकता कानून का विरोध किया गया। जुमे की नजाम को ध्यान में रखते हुए बीस दिसम्बर को दरगाह क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया गया। दरगाह में आने वाले लोगों पर नजर भी रखी गई। दरगाह क्षेत्र में कोई अप्रिय घटना न हो इसको लेकर जिला प्रशासन भी सतर्क रहा। हालांकि नमाज के बाद दरगाह से कोई जुलूस या अन्य गतिविधि नहीं की गई लेकिन फिर भी जुम्मे की नमाज के मद्देनजर माहौल संवेदनशील बना रहा। उल्लेखनीय है कि ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के लिए प्रतिदिन पचास हजार से भी ज्यादा जायरीन आते हैं। ऐसे जायरीन बड़ी संख्या में बाहर के होते हैं। जियारत करने वालों में हिन्दू समुदाय के लोगों की संख्या भी ज्यादा होती है। ख्वाजा साहब की दरगाह को कौमी एकता की मिसाल माना जाता है।
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