सचिन पायलट को चुनौती देने की हिम्मत रघु शर्मा ही दिखा सकते हैं।
सचिन पायलट को चुनौती देने की हिम्मत रघु शर्मा ही दिखा सकते हैं।
सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत पर डिप्टी सीएम और चिकित्सा मंत्री आमने सामने।
अब चिकित्सा मंत्री के गृह जिले अजमेर में भी बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू।
राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में जो काम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले एक वर्ष से नहीं कर सके वो काम प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने एक झटके में कर दिया है। कोटा के जेके लोन अस्पताल और अन्य सरकारी अस्पतालों में हो रही बच्चों की मौत पर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तथा डिप्टी सीएम की हैसियत से सार्वजनिक निर्माण विभाग का जिम्मा संभाल रहे सचिन पायलट को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। रघु शर्मा ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में हो रही बच्चों की मौत की जिम्मेदारी वे स्वयं लेने को तैयार हैं, लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग को भी अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों की मरम्मत और रख रखाव का कार्य निर्माण विभाग ही करता है। अस्पताल भवन की मरम्मत जैसे छत से सीलन आना, टूटे दरवाजों, खिड़कियों को ठीक करने आदि को लेकर चिकित्सा विभाग के अधिकारी समय-समय पर निर्माण विभाग को पत्र लिखते है। लेकिन फिर भी अस्पतालों में मरम्मत का कार्य नहीं होता है। जाहिर है कि रघु शर्मा ने अपने इस बयान से बच्चों की मौत की जिम्मेदारी सार्वजनिक निर्माण विभाग के मंत्री सचिन पायलट पर भी डाल दी है। रघु को यह बयान इसलिए देना पड़ा कि गत 4 जनवरी को पायलट ने कोटा अस्पताल का दौरा कर कहा था कि प्रदेश में पिछले एकवर्ष से हमारी सरकार है, इसलिए बच्चों की मौत की जिम्मेदारी पिछली भाजपा सरकार पर नहीं डाली जा सकती है। बच्चों की मौत के लिए किसी को तो जिम्मेदारी लेनी ही पड़ेगी। तब यह माना गया कि चिकित्सा मंत्री के नाते जिम्मेदारी रघु शर्मा पर डाली जाएगी और हो सकता है कि रघु को चिकित्सा विभाग से हटा दिया जाए, लेकिन संभवनाओं के उलट रघु ने पायलट को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। यूं तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सचिन पायलट और गहलोत में खींचतान चल रही थी, लेकिन इस एक वर्ष की अवधि में गहलोत ने कभी भी पायलट को चुनौती नहीं दी। पायलट द्वारा कई मुद्दों पर नाराजगी जताने के बाद भी गहलोत शांत रहे। लेकिन रघु शर्मा ने एक ही झटके में पायलट को चुनौती दे डाली। पायलट को सार्वजनिक चुनौती देने की हिम्मत रघु शर्मा जैसा दबंग राजनेता ही कर सकता है। रघु की चुनौती का पायलट किस तरह जवाब देते हैं यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल कांग्रेस की राजनीति में रघु शर्मा की दबंगता की चर्चा हो रही है। जो सचिन पायलट 4 जनवरी को बच्चों की मौत पर जवाबदेही तय करने की बात कर रहे थे वो ही पायलट अब स्वयं कटघरे में खड़े हो गए हैं।
गहलोत के इशारे पर:
कांगे्रस की राजनीति में चर्चा है कि रघु शर्मा ने सचिन पायलट को अशोक गहलोत के इशारे पर चुनौती दी है। यदि गहलोत का इशारा नहीं होता तो रघु शर्मा सचिन पायलट जैसे दिग्गज नेता को इस तरह चुनौती नहीं देते। अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह पहला अवसर है जब किसी मंत्री ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर सीधा हमला किया है। स्थानीय निकाय चुनाव मेंहाईब्रिड सिस्टम लागू करने पर भी पायलट ने अपनी ही सरकार की खुली आलोचना की थी, लेकिन तब नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने पायलट के व्यवहार पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की।
पायलट ने ही बनाया था उपचुनाव में उम्मीदवार:
वाकई राजनीति बुरी चीज है। 2013 में अजमेर के केकड़ी से विधानसभा का चुनाव हारने के बाद राजनीति में रघु शर्मा के सितारे गर्दिश में थे। तब जनवरी 2018 में सचिन पायलट ने ही रघु शर्मा को अजमेर से लोकसभा के उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया। हालांकि तब अलवर में भी लोकसभा के उपचुनाव हो रहे थे, लेकिन रघु को जीताने के लिए पायलट ने अजमेर में ही डेरा जमाए रखा। भाजपा शासन में रघु को किन परिस्थितियों में उपचुनाव जितवाया यह पायलट ही जानते हैं। सांसद रहते ही रघु शर्मा ने केकड़ी से विधानसभा का चुनाव लड़ा और गहलोत मंत्रिमंडल में चिकित्सा मंत्री भी बने। जनवरी 2018 में यदि पायलट उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाते तो आज रघु शर्मा की इतनी मजबूत स्थिति नहीं होती। जिन सचिन पायलट ने रघु को राजनीति की ऊंचाईयों पर पहुंचाया उन्हीं पायलट को अब जमीन दिखाई जा रही है। यदि बच्चों की मौत पर पायलट अपने कथन के अनुरूप जवाबदेही तय नहीं करवा पाते हैं तो फिर पायलट के राजनीतिक भविष्य पर भी प्रश्न चिह्न लगेगा।
गृह जिले में मौत का सिलसिला शुरू:
रघु शर्मा राजनीति में भले ही अपनी दबंगता दिखाएं लेकिन सच्चाई है कि शर्मा के गृह जिले अजमेर के संभाग स्तरीय जेएलएन अस्पताल में भी बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है। कोटा के जेके लोन अस्पताल की तरह अजमेर के अस्पताल के शिशु वार्ड में सीलन है, जिससे बच्चों को सर्दी लग रही है। अस्पताल के अन्य वार्ड भी खराब पड़े हैं। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार दो दिन में 10 बच्चों की मौत हुई है। चिकित्सकों का कहना है कि सर्दी के मौसम में इतने बच्चों का मरना सामान्य बात है।
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