आखिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी तो अपने पूर्व होने की चिंता है, इसलिए वसुंधरा राजे की सुविधाओं को वापस नहीं लिया जा रहा।
आखिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी तो अपने पूर्व होने की चिंता है, इसलिए वसुंधरा राजे की सुविधाओं को वापस नहीं लिया जा रहा। सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी भी खारिज।
अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्री के नाते किसी नेता को सरकारी सुविधाएं नहीं दी जा सकती है। हालांकि यह आदेश छह माह पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने भी दिया था, लेकिन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई। इस एसएलपी को 7 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब राजस्थान की कांग्रेस सरकार को भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री रहीं श्रीमती वसुंधरा राजे से सिविल लाइन स्थित बंगला संख्या 13 खाली करवा लेना चाहिए। साथ ही वसुंधरा को जो सरकारी कर्मचारी आदि की सुविधा मिली हुई है, उसे भी तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। लेकिन सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं चाहेते कि वसुंधरा राजे से सरकारी सुविधाएं वापस ली जाएं। हाईकोर्ट ने जब पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं नहीं देने से इंकार कर दिया था, तब गहलोत ने कहा था कि कोर्ट का फैसला अपनी जगह है, हमें वसुंधरा राजे की राजनीतिक स्थिति को भी देखना पड़ेगा। राजे मौजूदा समय में भी विधायक हैं तथा पूर्व में भी कई बार सांसद और विधायक रह चुकी है। ऐसे सरकार को वसुंधरा राजे को बड़ा बंगला देने का अधिकार है। हालांकि हाईकोर्ट के फैसले के बाद गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर दी थी। इससे प्रतीत होता है कि अशोक गहलोत भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे से सरकारी सुविधाएं वापस लेने के पक्ष में नहीं है। असल में अशोक गहलोत को भी पूर्व होने की चिंता है। गहलोत भी चाहते हैं कि जब वे पूर्व हो जाएं, तब पूर्व मुख्यमंत्री के नाते सिविल लाइन में सरकारी बंगले आदि की सुविधा मुफ्त मिलती रहे। वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री रहते हुए पूरे पांच वर्ष अशोक गहलोत को पूर्व मुख्यमंत्री के नाते सिविल लाइन में बड़े बंगले में बनाए रखा तथा निजी सहायक आदि की सभी सुविधाएं भी दीं। गहलोत चाहते हैं कि भविष्य में भी ऐसी सुविधाएं मिलती रहे। इसके लिए वसुंधरा राजे को सुविधाएं देना जरूरी है। यदि अशोक गहलोत को स्वयं को सरकारी सुविधाओं का मोह नहीं हो तो अब तक वसुंधरा राजे भी बंगला नम्बर 13 खाली करवा लेते।
बंगले पर जबरन कब्जा:
सब जानते है कि मुख्यमंत्री रहते हुए वसुंधरा राजे ने जयपुर के सिविल लाइन के बंगला संख्या 13 पर नियमों के विरुद्ध कब्जा बनाए रखा। मुख्यमंत्री के लिए सिविल लाइन में बंगला संख्या 8 आरक्षित है। वसुंधरा राजे ने बंगला संख्या 8 को तो काम में लिया ही साथ ही बंगला संख्या 13 पर भी कब्जा बनाए रखा। इस बंगले में सरकारी खर्चे पर पर सभी सुविधाएं जुटाई गई ताकि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद आराम से रहा जा सके। हुआ भी यही। कांग्रेस सरकार का मुख्यमंत्री बनने के बाद अशोक गहलोत ने सबसे पहले वसुंधरा राजे को पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से बंगला संख्या 13 आवंटित कर दिया। गहलोत और राजे भले ही एक दूसरे को कितना भी कोसे लेकिन सरकारी सुविधाएं हथियाने के लिए सब एकजुट हैं।
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