राजस्थान में अब हो सकेंगे पंचायती राज के सम्पूर्ण चुनाव।
राजस्थान में अब हो सकेंगे पंचायती राज के सम्पूर्ण चुनाव।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राज्य सरकार और निर्वाचन विभाग को राहत।
जिला परिषद, पंचायत समिति सदस्य और बकाया सरपंचों के चुनाव अप्रैल के दूसरे सप्ताह मेें।
24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में पंचायतीराज के सम्पूर्ण चुनाव करवाने को हरी झंडी दे दी है। सीजेआई एसए बोबड़े ने अपने फैसले में कहा कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह में पंचायती राज के शेष चुनाव करवाए जा सकते हैं। असल में राज्य निर्वाचन विभाग ने 15 नवम्बर के बाद पुनर्गठित ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों में चुनाव करवाने में असमर्थता प्रकट कर दी थी। हाईकोर्ट ने भी 15 नवम्बर के बाद पुर्नगठित पंचायतों पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनजर निर्वाचन विभाग प्रदेश की 10 हजार ग्राम पंचायतों में से करीब 6 हजार में ही सरपंच और वार्ड पंच के चुनाव तीन चरणों में करवा रहा है। ऐसे में जिला परिषद, पंचायत समिति सदस्य तथा शेष चार हजार ग्राम पंचायतों में सरपंच का चुनाव लडऩे वाले ग्रामीण मायूस थे। जिला परिषद और पंचायत समितियों के सदस्यों का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाअधिवक्ता मनीष सिंघवी ने पैरवी की। सिंघवी ने सरकार का पक्ष प्रभावी तरीके से रखा। इस संबंध में निर्वाचन विभाग का कहना रहा कि पुनर्गठित ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों के वार्डों की मतदाता सूची तैयार करने के लिए कम से कम तीन माह का समय चाहिए। वैसे भी मार्च माह में बोर्ड की वार्षिक परीक्षाएं होंगी। निर्वाचन विभाग के पक्ष को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल के दूसरे सप्ताह में पंचायती राज के सम्पूर्ण चुनाव करने का निर्णय दिया। इस फैसले से सरकार और निर्वाचन विभाग दोनों को राहत मिलेगी। इसके साथ ही उन ग्रामीणों में भी उतसाह जगेगा जो पंचायत समिति और जिला परिषद के सदस्य का चुनाव लडऩा चाहते हैं। अब पंचायत समिति के प्रधान और जिला प्रमुख बनने की भाग दौड़ भी शुरू हो जाएगी। हालांकि अभी ढाई माह बाद चुनाव होने हैं, लेकिन नेताओं की सक्रियता बढ़ जाएगी।
पायलट ने भी जताई थी नाराजगी:
ग्राम पंचायत के साथ पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य के चुनाव नहीं होने पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पंचायतीराज विभाग के मंत्री सचिन पायलट ने भी नाराजगी जताई थी। पायलट ने सवाल उठाया था कि जब मतदाता सूची से सरपंच के चुनाव हो सकते हैं, तब पंचायत समिति और जिला परिषद के सदस्य के क्यों नहीं? आम तौर पर ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य से लेकर जिला परिषद के सदस्य तक के चुनाव एक साथ होते हैं। लेकिन इस बार प्रदेश में सिर्फ सरपंच और ग्राम पंचायत के वार्ड पंच के ही चुनाव हो रहे हैं।
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