बेटे के विवाह में न दहेज लिया और न लिफाफा लेंगे।
बेटे के विवाह में न दहेज लिया और न लिफाफा लेंगे।
रावतभाटा के एसडीएम रामसुख गुर्जर की अनुकरणीय पहल।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सोच पर अमल।
अजमेर के लोकप्रिय जिला प्रमुख रहे हनुमान सिंह रावत के दामाद और चित्तौड़ जिले के रावतभाटा उपखंड के एसडीएम रामसुख गुर्जर के इंजीनियर पुत्र मयंक का सगाई समारोह 7 फरवरी को अजमेर के ब्यावर रोड स्थित कच्छावा रिसोर्ट में सम्पन्न हुआ। मयंक का विवाह सूरत के बड़े कारोबारी प्रकाश अबाना की पुत्री मुक्ता से 9 फरवरी को होना है। प्रकाश अबाना ने सगाई समारोह में अपनी हैसियत के मुताबिक 11 लाख रुपए नकद रखे तथा 25 लाख रुपए की कीमत वाली कार का प्रस्ताव किया। लेकिन रामसुख गुर्जर ने बेटे के विवाह में दहेज लेने से साफ इंकार कर दिया। गुर्जर ने शगुन के बतौर मात्र 101 रुपए स्वीकार किए। सगाई समारोह में अजमेर कुचामनसिटी, रावतभाटा आदि के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। सभी ने गुर्जर की इस पहल की प्रशंसा की। रामसुख गुर्जर का कहना रहा कि वे 9 फरवरी को विवाह के अवसर पर मेहमानों से लिफाफा भी नहीं लेंगे। गुर्जर समाज ही नहीं बल्कि अधिकांश समाजों में दहेज का बोलबाला बढ़ रहा है। आज दहेज प्रथा एक समाजिक कुरीति हो गई है। समाज के प्रभावशाली लोग सकारात्मक पहल करेंगे, तभी ऐसी कुरीतियों पर रोक लगाई जा सकतीक है। इसमें कोई दो राय नहीं की रामसुख गुर्जर ने एक अनुकरणीय पहल की है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। अन्यथा एसडीएम जैसे पद पर बैठे अधिकांश अधिकारी दहेज और लिफाफा लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। कई अधिकारी और नेता तो अधिक से अधिक कार्ड इसलिए बांटते हें ताकि लिफाफा के रूप मेंअच्छी राशि एकत्रित हो सके।
मुख्यमंत्री की सोच:
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विवाह समारोहों को लेकर कई बार सीख दे चुके हैं। गहलोत दहेज प्रथम के खिलाफ तो हैं ही साथ ही महंगी शादी के विरुद्ध भी है। इस संबंध में मुख्यमंत्री कई बार अपनी भावनाएं सार्वजनिक तौर पर व्यक्त कर चुके हैं। रावतभाटा के एसडीएम गुर्जर ने मुख्यमंत्री की सोच को ही आगे बढ़ाया है।
बावनी भोज का भी विरोध:
राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रामसुख गुर्जर वर्ष 2017 में तब चर्चाओं में आए जब अजमेर के नसीराबाद के निकट बलवंता गांव में बावनी भोज (52 गांवों के ग्रामीणों का सामूहिक भोज) का आयोजन किया जा रहा था। चूंकि यह आयोजन गुर्जर समाज का था, इसलिए रामसुख गुर्जर को भी आमंत्रित किया। इस बावनी में मृत्यु भोज, नाबालिग बच्चियों के विवाह आदि भी होने थे। तब गुर्जर नागौर के कुचामनसिटी के एसडीएम थे। तब गुर्जर ने एसडीएम की हैसियत से अजमेर के तत्कालीन कलेक्टर को सरकारी पत्र लिखा और बलवंता गांव में बावनी भोज करने वालों पर कार्यवाही करने का आग्रह किया। गुर्जर की इस पहल से गुर्जर समाज में खलबली मच गई, लेकिन बाद में युवा वर्ग ने रामसुख गुर्जर की पहल का स्वागत करते हुए बावनी भोज के समारोह को समाज सुधार सम्मेलन में तब्दील कर दिया। अब अजमेर में युवा जागृति मंच के माध्यम से समाज सुधार के अनेक कार्यक्रम गुर्जर समाज में हो रहे हैं। समाज सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मोबाइल नम्बर 9414354751 पर एसडीएम रामसुख गुर्जर को बधाई दी जा सकती है।
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