चार महिला आईएएस अधिकारियोंके आरोपों से घिरे कांग्रेस नेता राजेश टंडन को आखिर हाईकोर्ट से राहत मिली।

चार महिला आईएएस अधिकारियोंके आरोपों से घिरे कांग्रेस नेता राजेश टंडन को आखिर हाईकोर्ट से राहत मिली।
अजमेर पुलिस को अब हाईकोर्ट के आदेश और निर्देश का इंतजार।

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अजमेर में तैनात चार महिला आईएएस अधिकारियों द्वारा एफआईआर दर्ज करवाने और पुलिस के कसते शिकंजे से कांग्रेस नेता और वकील राजेश टंडन को आखिर हाईकोर्ट से राहत मिल ही गई। महिला अधिकारियों की रिपोर्ट पर पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर टंडन को धारा 41 में नोटिस देकर तलब कर लिया था। इस नोटिस के आधार पर टंडन को 12 फरवरी तक जांच अधिकारी डॉ. प्रियंका रघुवंशी के समक्ष उपस्थित होना था, लेकिन 11 फरवरी को ही टंडन की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश पंकज भंडारी ने केस डायरी तलब कर ली तथा पुलिस को निर्देश दिए कि आरोपी टंडन के विरुद्ध सख्ती नहीं बरती जाए। यानि टंडन 12 फरवरी को उपस्थित नहीं होते हैं तो धारा 41 के नोटिस की कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाया जावे। हालांकि हाईकोर्ट ने जांच पर कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन फिर भी अजमेर पुलिस को कोर्ट के आदेश और निर्देशों का इंतजार है। चूंकि 11 फरवरी वाले निर्णय पर न्यायाधीश के हस्ताक्षर नहीं हुए थे, इसलिए पुलिस 12 फरवरी को इंतजार में रही। इस मामले में अब 18 मार्च को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। हाईकोर्ट में टंडन के वकीलों का कहना रहा कि सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट में टंडन ने किसी भी महिला अधिकारी के नाम का उल्लेख नहीं किया था और न ही किसी अधिकारी को मानहानि की। लेकिन इसके बावजूद भी चार महिला आईएएस ने उनके विरुद्ध अश्लील और अपमानजनक पोस्ट डालने का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करवा दी।
राहत नहीं मिलती तो गिरफ्तारी हो सकती थी:
यदि टंडन को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलती तो टंडन की गिरफ्तारी भी हो सकती थी। असल में महिला अधिकारियों द्वारा एफआईआर दर्ज करवाने के बाद टंडन की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। जिस पुलिस महकमे को टंडन अपनी जेब में समझते थे, वही पुलिस महकमा टंडन के खिलाफ खड़ा हो गया। जिन आईपीएस, आरपीएस, पुलिस इंस्पेक्टरों को टंडन अपने बजरंगगढ स्थित अम्बे माता मंदिर में चुनरी ओढ़ा कर सम्मान करते थे, उन पुलिस अधिकारियों ने भी टंडन से बात करना बंद कर दिया। टंडन को पिछले दस दिनों में पता चल गया कि पुलिस कैसी होती है। भले ही राज्य के पुलिस निदेशक टंडन के विभिन्न प्रकारों के समारोह में आते रहे हो, लेकिन संकट के समय सिपाही तक ने दूरी बना ली। जिन आईएएस को आदरणीय और परम आदरणीय कह कर टंडन नवजाते थे, उनके बारे में भी टंडन को पता चल गया। प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को तो टंडन अपना राजनीतिक गुरु मानते थे, लेकिन गुरुजी ने कितना सहयोग किया, इसका अहसास भी टंडन को हो गया। मामला महिला आईएएस से जुड़ा होने की वजह से टंडन के पुरुष आईएएस अधिकारियों ने भी मुंह फेर लिया। दो प्रमुख अखबारों को भी टंडन अपनी जेब में ही समझते रहे। अम्बे माता मंदिर के चढ़ावे से टंडन ने इन दोनों अखबारों के सामाजिक सरोकारों वाले कार्यों पर खूब पैसा खर्च किया, लेकिन आरोप लगने के बाद इन दोनों अखबारों ने ही टंडन को सबसे जयादा कटघरे में खड़ा किया। अब देखना होगा कि इन अखबारों के सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्यों में मंदिर के चढ़ावे से टंडन कितना सहयोग करते हैं। अजमेर ही नहीं बल्कि राजस्थान भर में ऐसे अनेक अधिकारी, राजनेता, मीडिया कर्मी आदि मिल जाएंगे, जिन्होंने कभी न कभी टंडन की मेहरमाननवाजी का लुत्फ उठाया है। टंडन सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के कोई साधारण नेता नहीं है, बल्कि सरकार और प्रशासन खास कर पुलिस विभाग में दखल रखने वाले नेता है। लेकिन टंडन को पहली बार अहसास हुआ कि जब बुरे दिन आते हैं तो ऊंट पर बैठे व्यक्ति को भी कुत्त काट लेता है। टंडन पर लगे आरोपों पर फैसला तो न्यायालय का आएगा, लेकिन टंडन को बुरे भले का अहसास जरूर हो गया है।
(एस.पी.मित्तल) (12-02-2020)
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