9 माह की बच्ची को विधानसभा में ले जाने वाले भाजपा विधायक सुरेश रावत का अब कांग्रेसियों ने पुतला जलाया।
9 माह की बच्ची को विधानसभा में ले जाने वाले भाजपा विधायक सुरेश रावत का अब कांग्रेसियों ने पुतला जलाया।
17 फरवरी को अजमेर जिले के रूपनगढ़ कस्बे में क्षेत्रीय भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत का पुतला जला कर विरोध किया गया। प्रदर्शनकारी कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि एक फाइनेेंस कंपनी द्वारा जबरन मकान खाली करवाने के मामले में रावत ने विधानसभा में गलत तथ्य प्रस्तुत किए। गलत जानकारी देने से ही सरकार ने एसडीएम अंजू शर्मा और थानेदार सुनील बेड़ा को निलंबित कर दिया। रावत ने 14 जनवरी को विधानसभा में आरोप लगाया था कि फाइनेंस कंपनी द्वारा जब्त मकान में 9 माह की बच्ची 8 घंटे तक बंद रही। एसडीएम और थानेदार को सूचना देने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि मकान को कुर्क करने की कार्यवाही जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा के आदेश के बाद की गई थी और 9 माह की बच्ची मकान के अंदर रहने की जानकारी थानेदार बेड़ा को नहीं दी गई। जब्त मकान में 9 माह की बच्ची कितने घंटे रही इसकी अभी जांच चल रही है, लेकिन सरकार ने एसडीएम और थानेदार दोनों को निलंबित कर दिया है। इससे रूपनगढ़ के लोगों में रोष व्याप्त है। जो अधिकारी दोषी नहीं है उनके विरुद्ध कार्यवाही की गई है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि निलंबित दोनों अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से बाहल किया जाए। संबंधित परिवार के सदस्यों ने भी माना है कि बच्ची के बारे में थानाधिकारी को कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
फाइनेंस कंपनी के दो अधिकारी गिरफ्तार:
पुलिस ने फाइनेंस कंपनी एसके फिनकॉर्प प्राइवेट लिमिटेड के दो अधिकारियों रमन बत्रा और भागचंद को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने दोनों अधिकारियों के अलावा रघुवीर यादव, कांती देवी और मनीष के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है। जांच में पता चला है कि फाइनेंस कंपनी के अधिकारियों ने गलत तथ्य प्रस्तुत कर अजमेर के कलेक्टर से मकान कुर्की के आदेश प्राप्त कर लिए थे। पुलिस का इस संबंध में यही कहना है कि कलेक्टर के आदेश के बाद ही कार्यवाही की गई है। उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी को जब पुष्कर के भाजपा विधायक रावत ने विधानसभा में 9 माह की बच्ची को प्रस्तुत किया तो सरकार में खलबली मच गई। रावत ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारी इतने संवेदनहीन है कि 9 माह की बच्ची आठ घंटे तक मकान में बंद पड़ी रही। हालांकि इस संबंध में सरकार का कहना है कि बच्ची कितने घंटे मकान में बंद रही इसकी जांच चल रही है। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि किन परिस्थितियों में बच्ची मकान के अंदर रह गई।
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