राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े रिटायर प्रो. धर्मपाल जारोली को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष बनाया।

राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े रिटायर प्रो. धर्मपाल जारोली को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष बनाया।
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मित्रता काम आई।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निरोगी राजस्थान अभियान को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा-प्रो. जारोली।  

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24 फरवरी को राज्य सरकार ने एक आदेश निकाल कर राजस्थान यूनिवर्सिटी के रिटायर प्रोफेसर धर्मपाल जारोली को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया है। प्रो. जारोली की नियुक्ति पदभार संभालने से तीन वर्ष के लिए होगी। प्रो. जारोली 25 फरवरी को ही बोर्ड के अध्यक्ष का पद संभाल लेंगे।
जोशी से मित्रता काम आई:
प्रो. जारोली पूर्व में उदयपुर यूनिवर्सिटी में मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ काम कर चुके हैं। माना जा रहा कि जारोली की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति में जोशी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हालांकि अध्यक्ष पद की दौड़ में अजमेर स्थित राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य मुन्नालाल अग्रवाल भी शामिल थे। लेकिन अग्रवाल की एप्रोच तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग तक ही सीमित थी। चूंकि जारोली के लिए सीपी जोशी का इशारा भी रहा इसलिए सुभाष गर्ग को भी सरेंडर होना पड़ा। यह बात अलग है कि अग्रवाल और जारोली दोनों ही राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े हुए हैं। हालांकि स्टडी सर्किल गैर राजनीतिक संगठन माना जाता है, लेकिन इस इस संगठन में कांग्रेस विचारधारा के कॉलेजे शिक्षक ही शामिल है।
निरोग काया का पाठ्यक्रम शामिल होगा:
शिक्षा बोर्ड के मनोनीत अध्यक्ष प्रो. जारोली ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निरोगी राजस्थान का जो अभियान शुरू किया है उसे अब शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निरोगी राजस्थान का संदेश समाज के लिए महत्वपूर्ण है। यह संदेश युवा वर्ग तक पहुंचे इसके लिए पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता पांच मार्च से शुरू होने वाली बोर्ड की परीक्षाओं को शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न कराने की होगी। उन्होंने कहा कि परीक्षाओं के परिणाम जल्द घोषित हो इसके लिए भी काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे स्वयं शिक्षा बोर्ड के छात्र रहे हैं। वे जब पढ़ते थे, तब 10वीं और 11वीं प्राथम श्रेणी से उत्तीण होने वाले विद्यार्थी का बहुत महत्व होता था। उनका प्रयास होगा कि शिक्षा बोर्ड के पुराने गौरव को वापस लौटाया जाए। हालांकि आज भी शिक्षा बोर्ड के परिणाम कसौटी पर खरे उतरते हैं, लेकिन उनका प्रयास होगा कि गुणवत्ता को और बढ़ाया जावे।
(एस.पी.मित्तल) (24-02-2020)
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