सार्वजनिक स्थल पर शांतिभंग करने पर मात्र दस रुपए का जुर्माना।
झूठी शिकायत दर्ज करवाने पर मात्र एक हजार रुपए का जुर्माना।
सड़क दुर्घटना के आरोपी पर मात्र एक हजार रुपए का जुर्माना।
एडवोकेट मनोज आहूजा ने सीआरपीसी की ऐसी धाराओं को बदलने की मांग की।
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अजमेर के एडवोकेट डॉ. मनोज आहूजा ने 23 फरवरी को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। राजस्थान के वकीलों का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ. आहूजा ने कहा कि भारत में सीआरपीसी को 1860 में अंग्रेजों के शासन में बनाया गया था। लेकिन आज भी यही कानून देश में लागू है। जबकि ऐसे कानून अब प्रासांगिक नहीं है। अन्य देशों में समय के साथ कानून में बदलाव हुआ है। लेकिन भारत में अभी भी अंग्रेजों का कानून चल रहे हैं। उन्होंने माना कि बालात्कार, पोकसो जैसे अपराधों में कई बार शिकायतें झूठी निकलती है। कुछ लोग सरकारी मुआवजा हासिल करने के लिए रिपोर्ट दर्ज करवा देते हैं। जांच पड़ताल में ऐसी शिकायत झूठी निकलती है। यही वजह है कि कई बार शिकायत को वापस ले लिया जाता है या फिर सबूत के आभाव में आरोपी को न्यायालय से कोई सजा नहीं मिलती है। कानून में झूठी शिकायत करने वाले को धारा 182 में आरोपी बनाने का प्रावधान है, लेकिन इस धारा में मात्र एक हजार रुपए का जुर्माना या अधिकतम छह माह की सजा का प्रावधान है। इसी प्रकार सड़क दुघर्टना की धारा 279 में मात्र एक हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। शराब पीकर दुर्घटनाकारित करने की धारा 510 में मात्र पचास रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। इतना ही नहीं सार्वजनिक स्थल पर शांतिभंग करने पर तो मात्र दस रुपए के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में डॉ. आहूजा ने सीआरपीसी के प्रावधानों में बदलाव की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि अब जब सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है तब वकीलों की फोरम को चाहिए कि वे ऐसे प्रवधान को बदलवाने के लिए आवाज उठाए। उन्होंने कहा कि वकील भी देश का नागरिक है और एक नागरिक के नाते वकील को अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए। विजयवाड़ा मेंहुई कॉन्फ्रेस की जानकारी मोबाइल नम्बर 9414434927 पर मनोज आहूजा से ली जा सकती है।
(एस.पी.मित्तल) (24-02-2020)
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