होली का पर्व भाईचारे और हर्षोल्लास से मनाने की बात कही तो विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर कागज के टुकड़े फेंके।

होली का पर्व भाईचारे और हर्षोल्लास से मनाने की बात कही तो विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर कागज के टुकड़े फेंके।
दिल्ली हिंसा पर चर्चा को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा जारी।
ऐसे हालात लोकतंत्र के लिए कितने उचित हैं? 

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तीन मार्च को भी लगातार दूसरे दिन संसद के दोनों सदनों में हंगामे की स्थिति बनी रही। बार बार दोनों सदनों को स्थगित किया गया। अब चार मार्च को प्रात: 11 बजे फिर से दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू होगी। दो बार स्थगित किए जाने के बाद तीन मार्च को दोपहर दो बजे जब लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा कराने के लिए सरकार तैयार है। लेकिन सरकार चाहती है कि होली के पर्व के बाद सदन में चर्चा हो। बिरला ने कहा कि होली का पर्व भाईचारे और हर्षोल्लास से मनाया जाए। उन्होंने कहा कि जब सरकार चर्चा कराने पर तैयार हो गई है तो फिर विपक्ष के सांसदों को सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से चलने देना चाहिए। लेकिन होली पर्व को भाई चारे और हर्षोल्लास से मनाने की बात पर विपक्षी सांसद अध्यक्ष के सामने खड़े हो गए और कागज के टुकड़े फेंकने लगे। हालांकि इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने गहरी नाराजगी जताई। बिरला का कहना रहा कि यह रवैया लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। विपक्षी सांसदों द्वारा लोकसभा अध्यक्ष पर फेंके गए कागज के टुकड़ों को देखते हुए भाजपा के सांसद भी अपनी सीट से खड़े हो गए। हालात को बिगड़ता देख अध्यक्ष ने लोकसभा की कार्यवाही चार मार्च को 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी व्यवस्था दी कि सदन में कोई भी सदस्य प्ले कार्ड लेकर नहीं आएगा। हालांकि इस कथन पर भी सदन में जबर्दस्त हंगामा हुआ। असल में लोकसभा अध्यक्ष भी चाह रहे थे कि देश में होली का पर्व भाई चारे और हर्षोल्लास के साथ मने इसलिए लोकसभा में ऐसी कोई बात नहीं होनी चाहिए जो समाज पर प्रतिकूल असर डालती हो। लेकिन विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष की इस भावना का सम्मान नहीं किया और अमर्यादित आचरण करते हुए अध्यक्ष पर ही कागज के टुकड़ों को मोड़ कर फेंकना शुरू कर दिया। सवाल उठता है कि विपक्षी सांसदों की यह कार्यवाही लोकतंत्र के लिए कितनी उचित है?  जब संसद में विपक्ष को अपनी बात रखने का अवसर दिया जा रहा है, तब ऐसी कार्यवाही क्यों की जा रही है? एक ओर सभी राजनीतिक दल चाहते हैं कि दिल्ली में साम्प्रदायिक सौहाद्र बना रहे। पिछले चार दिनों से दिल्ली के हिंसा ग्रस्त क्षेत्रों में कोई अप्रिय वारदात नहीं हुई है। ऐसे माहौल में आरोप प्रत्यारोप के मद्देनजर माहौल को बिगाडऩे की कोशिश क्यों की जा रही है? सब जानते हैं कि दिल्ली हिंसा में समाज के सभी वर्गों को नुकसान हुआ है। अच्छा हो कि देश में साम्प्रदायिक सद्भावना के लिए सभी राजनीतिक दल मिलकर काम करें।
(एस.पी.मित्तल) (03-03-2020)
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