जब 211 पाकिस्तानी अजमेर में दिस दिनों तक मेहमान बन कर सुरक्षित रह सकते हैं, तब इमरान खान को भारत में रहने वाले अल्पसंख्यकों की चिंता नहीं करनी चाहिए।
जब 211 पाकिस्तानी अजमेर में दिस दिनों तक मेहमान बन कर सुरक्षित रह सकते हैं, तब इमरान खान को भारत में रहने वाले अल्पसंख्यकों की चिंता नहीं करनी चाहिए।
यदि सच में अल्पसंख्यक असुरक्षित होते तो इमरान खान की सरकार पाकिस्तानियों को अजमेर जाने की इजाजत नहीं देती।
दिल्ली हिंसा पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का 8 मार्च को एक बार फिर बयान आया है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। इमरान का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हिन्दुत्ववादी विचारधारा की वजह से भारत में रहने वाले अल्पसंख्यक स्वयं को असुरक्षित मानते हैं। इमरान खान इस तरह का झूठ पहले भी बोलते रहे हैं। यदि इमरान का कथन सच होता तो ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में 211 पाकिस्तानियों को इमरान खान भारत के अजमेर शहर में नहीं भेजते। इमरान खान भी जानते हैं कि पाकिस्तान के मुकाबले में मुसलमान समुदाय भारत में ज्यादा सुरक्षित है। यदि दिल्ली हिंसा के बाद इमरान को भारत में रहने वाले मुसलमानों की चिंता है तो फिर 211 पाकिस्तानियों को अजमेर भेज कर जान जोखिम में डालने की क्या जरुरत थी? इमरान खान को भी पता था कि अजमेर जाने वाले पाकिस्तानी सरकारी मेहमान बन कर रहेंगे। अजमेर प्रशासन और ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों ने पाकिस्तानियों को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रशासन ने जहां सेंट्रल गल्र्स स्कूल में आवभगत के माकूल इंतजाम किए, वहीं दरगाह परिसर में खादिम समुदाय ने सभी पाकिस्तानियों का सामूहिक तौर पर इस्तकबाल किया। 7 मार्च की रात को अजमेर से पाकिस्तान रवाना होने से पहले सभी पाकिस्तानियों ने मेहमाननवाजी के लिए प्रशासन और खादिम समुदाय का आभार जताया। ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में शरीक होने के लिए 211 पाकिस्तानी नागरिक सरकारी स्तर पर गत 28 फरवरी को अजमेर आए थे। यानि पाकिस्तानी नागरिक करीब 10 दिनों तक अजमेर में मेहमान बन कर रहे। अजमेर आए पाकिस्तानियों से इमरान खान पूछ सकते हैं कि भारत में कितने सुकून और सम्मान के साथ अल्पसंख्यक रह रहे हैं।
15 दिनों के लिए बंद करना पड़ा लड़कियों का स्कूल:
इमरान खान को यह भी पता होना चाहिए कि पाकिस्तानियों की सुविधा के लिए अजमेर में पुरानी मंडी स्थित सेंट्रल गल्र्स स्कूल को 15 दिनों तक के लिए बंद किया गया। चूंकि इसी स्कूल में पाकिस्तानियों को ठहराया गया, इसलिए गत 24 फरवरी से ही छात्राओं की छुट्टी कर दी गई। पाकिस्तानियों की वजह से ही माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने वार्षिक परीक्षा के लिए इस स्कूल में परीक्षा केन्द्र भी नहीं बनाया। जब सरकार पाकिस्तानियों को इतनी सुविधा दे सकती है तो यहां रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुविधा का अंदाजा लगाया जा सकता हे। इमरान को यह भी पता होना चाहिए कि उर्स मेले में अजेमर के नागरिकों के पेयजल में कटौती कर मेला क्षेत्र में पेयजल की अतिरिक्त सप्लाई की जाती है। अच्छा हो कि भारत के अल्पसंख्यकों पर कोई बयान देने से पहले अजमेर आए पाकिस्तानियों से इमरान खान संवाद कर लें।
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