अशोक गहलोत बताएं कि महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार बनाकर कांग्रेस ने कौनसा नंगा नाच किया। राजस्थान में तो बसपा को ही हड़प लिया।
आखिर एक मुख्यमंत्री किस तरह की भाषा बोल रहे हैं।
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में काम करने को उत्सुक हों-ज्योतिरादित्य सिंधिया।
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11 मार्च को जयपुर में मध्यप्रदेश के कांग्रेसी विधायकों का स्वागत करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पूरा देश देख रहा है कि भाजपा के लोग हॉर्स ट्रेडिंग कर राजनीति का किस तरह नंगानाच कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसे बेशर्मी ही कहा जाएगा कि एक निर्वाचित सरकार को खरीद फरोख्त के जरिए गिराया जा रहा है। यह गुंडागर्दी का माहौल है। हम एकजुट होकर इस गुंडागर्दी और राजनीति के नंगे नाच का मुकाबला करेंगे। ज्योतिरादित्य सिंधिया को अवसरवादी बताते हुए गहलोत ने कहा कि सिंधिया को पहले ही पार्टी से बाहर निकाल देना चाहिए। 18 वर्ष में से 17 वर्ष सिंधिया को सांसद और मंत्री बनाए रखा, लेकिन इसके बावजूद भी सिंधिया ने कांग्रेस के साथ विश्वासघात किया है। ऐसे व्यक्ति को जनता कभी भी माफ नहीं करेगी। सब जानते हैं कि अशोक गहलोत एक जिम्मेदार और निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं। सवाल उठता है कि आखिर गहलोत राजनीति में किन शब्दों का उपयोग कर रहे हैं। आज जब मध्यप्रदेश में बगावत हुई है तो गहलोत को नंगा नाच और बेशर्मी नजर आ रही है। लेकिन सवाल उठता है कि जब महाराष्ट्र में कांग्रेस ने शिवसेना के साथ सरकार बनाई तब राजनीति का कौन सा नंगा नाच हो रहा था? महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था और जनता ने दोनों दलों को सरकार बनाने का जानादेश दिया था, लेकिन उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा ने परिणाम के बाद गठबंधन तोड़ दिया और फिर कांग्रेस ने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाई। क्या यह राजनीति का नंगा नाच नहीं था? जब महाराष्ट्र में कांग्रेस शिवसेना के साथ सरकार बना सकती है तो फिर मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मिलकर भाजपा सरकार क्यों नहीं बना सकती? अशोक गहलोत इसे राजनीति का नंगा नाच कहे, लेकिन राजनीति में संख्या बल के दम पर ही सरकार बनती है। राजस्थान में तो अशोक गहलोत ने सम्पूर्ण बसपा को ही हड़प लिया। बसपा के सभी छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर गहलोत ने अपनी सरकार को मजबूत कर लिया। गहलोत भी जानते हैं कि जब बसपा के सभी विधायकों को कांग्रेस में शामिल किया गया तब मयावती की क्या प्रतिक्रिया थी? जो प्रतिक्रिया आज अशोक गहलोत की है, वही प्रतिक्रिया पूर्व में मायावती की रही। यानि राजनीति में सब समय का फेर है और राजनेता अपने अपने नजरिए से बयान देते हैं। लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि नेताओं की भाषा संयमित हो। यदि नंगा नाच बेशर्मी और गुंडागर्दी जैसे शब्दों का उपयोग कोई मुख्यमंत्री करेगा तो फिर राजनीति के स्तर का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। अशोक गहलोत तो स्वयं को महात्मा गांधी का अनुयायी मानते हैं।
मोदी के नेतृत्व में काम करने को उत्सुक:
11 मार्च को दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस मौके पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिंधिया ने कहा कि मैं नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में काम करने को उत्सुक हूं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने मुझे जो मंच उपलब्ध करवाया है, उसके माध्यम से मैं अपने गृह प्रदेश मध्यप्रदेश और देश की जनता की सेवा कर सकूंगा। सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस में रह कर प्रदेश और देश की जनता की सेवा करना संभव नहीं हो रहा था? वर्ष 2018 में मध्यप्रदेश की जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ कांग्रेस की सरकार बनाई थी, लेकिन पिछले 18 माह में जनता के सपने चूर-चूर हो गए। वायदा किया गया था कि दस दिन में किसानों का कर्जा माफ कर दिया जाएगा। लेकिन आज 18 माह बाद भी किसानों के कर्ज माफ नहीं हुए हैं। पूर्व में आंदोलन के दौरान जो मुकदमे दर्ज हुए उन्हें वापस नहीं लिया गया। प्रदेश में ट्रांसफर उद्योग चल रहा है और भ्रष्टाचार चरम पर है। सिंधिया ने अपने संबोधन में कमलनाथ सरकार के धराशायी होने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही कांग्रेस के नेताओं के बयानों का जवाब दिया। उल्लेखनीय है कि 22 विधायकों की बगावत के बाद कांग्रेस के नेताओं ने सिंधिया को गद्दार तक कहा है।
(एस.पी.मित्तल) (11-03-2020)
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