राजस्थान में नवगठित निगमों के चुनाव छह सप्ताह के लिए टले।
राजस्थान में नवगठित निगमों के चुनाव छह सप्ताह के लिए टले।
मैं अपनी इच्छा से राज्य सभा चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार नहीं बना हंू-औंकार सिंह लखावत।
राजस्थान में नवगठित नगर निगमों के चुनाव छह सप्ताह के लिए टल गए हैं। 17 मार्च को राज्य सरकार और अन्य जनहित याचिकाओं पर सनुवाई करते हुए हाईकोर्ट की जयुपर पीठ के न्यायाधीश संगीत लोढ़ा ने कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए छह सप्ताह के लिए चुनाव टालने के आदेश दिए हैं। पूर्व में निर्वाचन विभाग ने जो निर्देश जारी किए उसके मुताबिक 19 मार्च से जयपुर कोटा और जोधपुर के नवगठित नगर निगमों के वार्ड पार्षद के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने थी। हाईकोर्ट ने निर्वाचन विभाग की इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि चुनाव को लेकर राज्य सरकार और निर्वाचन विभाग में ठन गई थी। सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के मुताबिक निर्वाचन विभाग ने चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया था, लेकिन इस बीच कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए चुनाव टालने का आग्रह किया गया। लेकिन निर्वाचन विभाग ने सभी आग्रहों को ठुकरा दिया। निर्वाचन विभाग के फैसले के बाद ही राज्य सरकार को हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ा। हाईकोर्ट के आदेश से राज्य सरकार को भी राहत मिली है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर हाईकोर्ट में भी सामान्य कामकाज को टाल दिया गया है। निचली अदालतों में भी 31 मार्च तक सुनवाई को स्थगित किया गया है।
इच्छा से नहीं बना उम्मीदवार-लखावत:
राज्य सभा चुनाव में नामवापसी के अंतिम दिन 18 मार्च को दोपहर तीन बजे तक औंकार सिंह लखावत ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अपना नाम वापस नहीं लिया। अब 26 मार्च को राजस्थान में राज्य सभा के तीन सदस्यों के लिए चुनाव होंगे। कांग्रेस ने दो और भाजपा ने भी दो उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। कांग्रेस को उम्मीद थी कि 106 विधायकों और 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से दोनों उम्मीदवारों को आसानी के साथ जितवा लिया जाएगा। 200 विधायकों में से कांग्रेस को करीब 123 विधायकों के समर्थन की स्थिति को देखते हुए पहले यह माना जा रहा था कि तीनों सदस्यों के चुनाव निर्विरोध हो जाएगा। लेकिन भाजपा ने ऐनमौके पर अपनी रणनीति बदलते हुए चौथे उम्मीदवार के तौर पर राज्य सभा के पूर्व सदस्य औंकार सिंह लखावत को मैदान में उतार दिया। नामवापसी के दिन लखावत का कहना रहा कि वे अपनी इच्छा से भाजपा के उम्मीदवार नहीं बने हैं। पार्टी ने जो निर्देश दिया है उसके अनुरूप ही नामांकन भरा और अब अपने चुनाव एजेंट के तौर पर भाजपा विधायक रामलाल शर्मा को नियुक्त किया है। उन्होंने कहा कि वे विधानसभा परिसर में नाम वापसी के लिए नहीं आए बल्कि अपना एजेंट नियुक्त करने आए हैं। अब वे पार्टी के दिशा निर्देशों के अनुरूप ही मजबूती के साथ प्रचार करेंगे। भाजपा के 72 विधायक हैं और हनुमान बेनीवाल की आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन भाजपा को प्राप्त है। भाजपा ने प्रथम उम्मीदवार के तौर पर जोधपुर के राजेन्द्र गहलोत को उम्मीदवार बनाया है। जीत के लिए 51 मतों की आवश्यकता है। इस लिहाज से लखावत को प्रथम वायरीयता के 24 वोट मिल जाएंगे। लेकिन लखावत को जीत के लिए 27 विधायकों के वोट का जुगाड़ करना पड़ेगा। अब देखना होगा कि भाजपा इतने वोटों का जुगाड़ किस प्रकार करती है। इस बीच प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि भाजपा ने लखावत की उम्मीदवारी सोच समझ कर करवाई है। कांग्रेस के 14 माह के काम काज की परख राज्य सभा के चुनाव में हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विधायकों में जो असंतोष है उसका फायदा भाजपा को मिलेगा। कटारिया ने कहा कि भाजपा के पास खोने को कुछ भी नहीं है, जबकि कांग्रेस अपने विधायकों की नाराजगी से डरी हुई है। कांग्रेस ने राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को उम्मीदवार बनाया है। जानकार सूत्रों के अनुसार लखावत मैदान में डटे रहे इसकी रणनीति भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और वरिष्ठ नेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने दिल्ली में तैयार की। 18 मार्च को भी ये दोनों नेत दिल्ली में राष्ट्रीय नेताओं के सम्पर्क में रहे।
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