अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में जायरीन का प्रवेश बंद।
बंद करवाने से पहले एसपी कुंवर राष्ट्रदीप सिंह का भावनात्मक संबोधन।
पुलिस को भी दरगाह का खादिम बताया।
कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा के प्रयास भी सफल रहे।
दरगाह दीवान, खादिम, दरगाह कमेटी आदि सब सहमत।
पुष्कर स्थित विश्व के एक मात्र ब्रह्मा मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश को बंद करवाने के बाद अब 20 मार्च की रात को अजमेर स्थित विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को भी बंद करवाने में अजमेर के प्रशासन को सफलता मिल गई है। कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर दरगाह को बंद करवाने में प्रशासन को काफी मशक्त करनी पड़ी। हालांकि दरगाह से जुड़ी तीनों प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने दरगाह को बंद करने पर सहमति दे दी थी, लेकिन ऐनमौके पर दरगाह के सैकड़ों खादिम परिसर में जमा हो गए और प्रशासन की कार्यवाही का विरोध किया। नाराज खादिमों का कहना था कि दरगाह के 800 वर्ष के इतिहास में कभी भी बंद की नौबत नहीं आई। यदि दरगाह को बंद किया जाता है तो यह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप होगा। हम वंशागत खिदमतगार हैं, इसलिए दरगाह परिसर से हमें कोई बाहर नहीं निकाल सकता है। माहौल की नजाकत को देखते हुए 20 मार्च की रात को पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप सिंह ने मोर्चा संभाला और दरगाह परिसर में ही खादिम समुदाय को संबोधित किया। एसपी ने कहा कि ख्वाजा साहब के खादिम पुलिस कर्मी भी है। खादिम समुदाय वंशानुगत है तो हम पुलिस कर्मी ख्वाजा साहब के बुलावे पर अपनी ड्यूटी देने आते हैं। अजमेर में मेरे जैसे उसी पुलिस कर्मी की नियुक्ति होती है जिसे ख्वाजा साहब बुलाते हैं। आम लोग ही दरगाह के वारिश हैं हम तो सिर्फ अपनी ड्यूटी करने आए हैं। मैं खादिम समुदाय के भाई की तरह हंू और यह नहीं चाहता कि कोरोना वायरस की वजह से दरगाह में अप्रिय घटना हो। खादिम समुदाय भी ख्वाजा साहब की खिदमत करना चाहता है और पुलिस वाले भी। प्रशासन दरगाह की धार्मिक रस्मों में कोई दखल नहीं दे रहा है। दरगाह में सिर्फ जायरीन का प्रवेश रोका गया है। चुनिंदा खादिम पहले की तरह मजार शरीफ पर खिदमत कर सकेंगे। लेकिन इसके लिए संबंधित खादिमों को प्रशासन की सहमति लेनी होगी। किस दिन कौन से खादिम खिदमत करेंगे, इसको लेकर खादिम समुदाय की दोनों अंजुमनों के पदाधिकारियों से बात कर ली जाएगी। एसपी ने स्पष्ट कहा कि फिलहाल 31 मार्च तक प्रतिबंद लगाए जा रहे हैं। लेकिन यदि हालात नहीं सुधरे तो प्रतिबंध को आगे भी बढ़ाया जाएगा। आप सब लोग दुआ करें कि 31 मार्च से पहले हालात सुधर जाएं। एसपी के दोस्ताना और भावनात्मक संबोधन के बाद खादिमों ने दरगाह परिसर को खाली कर दिया। अब दरगाह परिसर में चुनिंदा खादिम ही प्रवेश पा सकेंगे। एसपी के संबोधन की प्रशांसा खादिम समुदाय ने भी की है। एसपी के संबोधन का पूरा वीडियो मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर सुना जा सकता है।
कलेक्टर ने बनवाई सहमति:
जो लोग ख्वाजा साहब की दरगाह की आंतरिक व्यवस्था को जानते हैं उन्हें पता है कि दरगाह को बंद करवाना आसान काम नहीं है। दरगाह में तीन संस्थाएं प्रमुख है। एक-दो हजार खादिमों का नेतृत्व वाली संस्थान अंजुमन सैय्यद जादगान व अंजुमन शेख जादगान। दो केन्द्र सरकार के अधीन चलने वाली दरगाह कमेटी। तीन दरगाह दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान। प्रशासन ने सबसे पहले इन तीनों संस्थाओं के बीच आपसी सहमति करवाई। दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान ने सकारात्मक भूमिका निभाते हुए दरगाह में जायरीन के नहीं आने की अपील की। इसी प्रकार खादिमों की प्रतिनिधि संस्था सैय्यद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगाराशाह ने खादिमों और प्रशासन के बीच बेहतर तालमेल किया। दरगाह कमेटी और खादिमों की सहमति को देखते हुए दरगाह दीवान ने भी अपनी सहमति दे दी। इसे कलेक्टर शर्मा की सूझबूझ ही कहा जाएगा कि दरगाह के प्रतिनिधियों के बीच सहमति बन गई।
सूना हुआ दरगाह बाजार :
रात और दिन चहल पहल से भरा रहने वाला दरगाह बाजार अब एक दम सूना हो गया है। जायरीन के अभाव में दुकानें, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट आदि सब बंद पड़े हैं। जिन लोगों ने गेस्ट हाउस ठेके पर ले रखे हैं, उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
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