कोरोना से बचने के लिए अजमेर के डीजे अनूप कुमार सक्सेना ने अदालतों में अनोखी पहल की।
31 मार्च तक मात्र दो अदालतों में सिर्फ दो घंटे काम होगा।
वकील या पक्षकार वाट्सएप पर भी बहस कर सकेंगे।
मजिस्ट्रेटों के एंड्रॉयड मोबाइल फोन नम्बर भी जारी किए।
सरकारी वकील एक दिन का वेतन सीएम राहत कोष में देंगे।
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अजमेर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनूप कुमार सक्सेना ने कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर अदालतों में अर्जेन्ट सुनवाई के लिए अनोखी पहल की है। इसके अतंर्गत वकील या पक्षकार वाट्सएप पर ऑनलाइन बहस कर सकेंगे। न्यायिक इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब कोई पक्षकार अपने घर से ही मोबाइल पर बहस कर सकता है। खास बात ये है कि डीजे सक्सेना ने 31 मार्च तक सुनवाई करने वाले न्यायिक अधिकारियों के एंड्रॉयड मोबाइल फोन नम्बर भी सार्वजनिक किए हैं ताकि कोई भी पक्षकार बहस की सुविधा उठा सके। यूं तो हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुरूप सिविल प्रकृति व सामान्य मुकदमों में अगली सुनवाई की तारीखे दी जा रही है, लेकिन अर्जेन्ट मामलों में सुनवाई के लिए अजमेर के डीजे सक्सेना ने विशेष व्यवस्था की है। अजमेर के लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने बताया कि अर्जेन्ट सुनवाई के दायरे में जमानत के प्रार्थना पत्र, रिमांड से संबंधित मामले, स्थगन प्रार्थना पत्र, सुपुर्दगी नामे से संबंधित मामले, 164 सीआरपीसी के बयान एवं अति आवश्यक मामलों को रखा गया है। डीजे सक्सेना ने आदेश जारी कर ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए 31 मार्च तक दोपहर दो से चार बजे तक का समय निर्धारित किया है। इसके लिए मुंसीफ और एडीजे स्तर की दो अदालत निर्धारित की गई है। इन अदालतों में कौन से न्यायिक अधिकारी उपलब्ध रहेंगे उनकी सूची भी जारी की गई है। अजमेर शहर के अलावा ब्यावर, किशनगढ़, केकड़ी, नसीराबाद, पुष्कर, बियजनगर, सरवाड़ आदि उपखंडों की न्यायिक अदालतों में भी व्यवस्थाएं की गई है। (डीजे द्वारा जारी आदेश की फोटो प्रति मेरे फेसबुक पेज … पर देखी जा सकती है। ) पाराशर ने बताया कि इन अदालतों में वकील मुंशी अथवा पक्षकार में से एक ही व्यक्ति ही उपस्थित हो सकता है। प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने का समय भी दोपहर दो से चार बजे के बीच ही रखा गया है। यदि कोई वकील या पक्षकार अपने घर से ही बहस करना चाहता है तो वह मोबाइल पर वाट्सएप तकनीक के जरिए बहस कर सकता है। यही वजह है कि संबंधित न्यायिक अधिकारी के एंड्रॉयड फोन नम्बर सार्वजनिक किए गए हैं। यानि संबंधित वकील या पक्षकार न्यायिक अधिकारी के मोबाइल को अपने एंड्रॉयड मोबाइल से जोड़ कर बहस कर सकता है। पाराशर ने बताया कि न्यायिक इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब कोई पक्षकार अपने घर से ही न्यायालय में बहस कर सकेगा। उन्होंने बताया कि प्रार्थना पत्र भी ईमेल के माध्यम से ही अदालत में प्रस्तुत किया जा सकता है, लेकिन बहस के दौरान हार्ड कॉपी प्रस्तुत करनी होगी। यह व्यवस्था फिलहाल 31 मार्च तक के लिए की गई है। डीजे सक्सेना ने वकीलों से आग्रह किया है कि वे जरूरत होने पर ही अदालत परिसर में आएं।
सीएम राहत कोष में वेतन:
पाराशर ने बताया कि कोरोना वायरस के मद्देनजर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस सीएम राहत कोष की स्थापना की है उसमें अजमेर के सरकारी वकील राजेन्द्र सिंह राठौड़, राजेश कुमार ईनाणी, अशोक गुर्जर, गुलाम नजमी फारुकी, गंगाराम रावत, अशरफ बुलंद खान, बृजेश पांडे, रूपेन्द्र कमार परिहार, मंजूर अली आदि अपना एक दिन का वेतन जमा करावएंगे। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 6375966474 पर विवेक पाराशर से ली जा सकती है।
(एस.पी.मित्तल) (23-03-2020)
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