इधर दिल्ली के शाहीन बाग का धरना हटाया, उधर कश्मीर में उमर अब्दुल्ला भी रिहा।
इधर दिल्ली के शाहीन बाग का धरना हटाया, उधर कश्मीर में उमर अब्दुल्ला भी रिहा।
सियासत बाद में, पहले कोरोना से निपटेंगे-उमर।
कोरोना वायरस की दहशत से राज्यसभा के चुनाव स्थगित। कांग्रेस को राहत।
जयपुर में गुजरात के कांग्रेसी विधायकों की बाड़ाबंदी भी खत्म।
देश में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते 24 मार्च को दो बड़ी घटनाएं भी शांतिपूर्ण तरीके से हो गई। संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में पिछले 99 दिनों से दिल्ली के शाहीन बाग में धरना चल रहा था। 24 मार्च को धरने के 100वें दिन तड़के पुलिस ने धरनार्थियों के टेंट आदि उखाड़ दिए और मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया। मीडिया में शाहीन बाग के धरने को हटाने की खबरें प्रसारित हो रही थीं कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी रिहा करने की खबर आ गई। सरकार ने कुछ दिन पहले ही उमर के पिता फारुख अब्दुल्ला को रिहा किया था। पिता पुत्र को गत अगस्त से तब नजर बंद किया, जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया था। अनुच्छेद 370 के रहते अब्दुल्ला परिवार भी कश्मीर के अलगाववादियों की भाषा बोलते थे, लेकिन फारुख अब्दुल्ला ने रिहा होने के बाद कोई देश विरोधी बात नहीं की। हालांकि अभी केन्द्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने यह नहीं बताया है कि पिता पुत्र को किन परिस्थितियों में रिहा किया गया है, लेकिन फारुख अब्दुल्ला की चुप्पी से प्रतीत होता है कि आगामी दिनों में जम्मू कश्मीर की राजनीति में बदलाव आएगा। हालांकि अभी पूरे देश में कोरोना की ही चर्चा हो रही है। यह उल्लेखनीय है कि फारुख अब्दुल्ला की रिहाई के समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने श्रीनगर पहुंच कर मुलाकात की थी, लेकिन इसके बाद भी फारुख अब्दुल्ला शांत रहे। उम्मीद की जा रही है कि अब उमर अब्दुल्ला भी चुप रहेंगे और कश्मीर में हुई शांति को और मजबूत करेंगे। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर घाटी में पूरी तरह शांति हो गई है और अब सुरक्षा बलों पर आए दिन हमले भी नहीं होते हैं। कश्मीरियों को अब अपने पूरे अधिकार मिलने लगे हैं। भ्रष्टाचार समाप्त होने की वजह सरकारी योजनाओं का लाभ भी कश्मीरियों को मिल रहा है।
राज्यसभा चुनाव स्थगित:
कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते राज्यसभा की 56 सीटों के लिए होने वाले चुनाव स्थगित हो गए। ये चुनाव 26 मार्च को होने थे, लेकिन कोरोना की वजह से लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभा के सत्र भी रोक दिए गए हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने राज्यसभा के चुनाव स्थगित करने का निर्णय लिया है। राज्यसभा के चुनाव टलने से कांग्रेस ने राहत की सांस ली है, क्योंकि कांग्रेस को गुजरात और राजस्थान में बगावत का सामना करना पड़ रहा था। मध्यप्रदेश में तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से कांग्रेस की सरकार ही चली गई। गुजरात में माना जा रहा है कि अब कांगे्रस सिर्फ एक उम्मीदवार ही जीता पाएगी। गुजरात में अब तक कांग्रेस के पांच विधायकों ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। राजस्थान में भी भाजपा ने दो उम्मीदवार खड़े कर कांग्रेस को संकट में डाल रखा है। राजस्थान में तीन सदस्यों का चुनाव होना है, लेकिन भाजपा ने चौथा उम्मीदवार उतार कर कांग्रेस की गणित को बिगाड़ दिया है।
पहले कोरोना से निपटेंगे:
रिहाई के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सियासत तो बाद में कर लेंगे, लेकिन पहले कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटना है। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि रिहाई के मौके पर श्रीनगर में इतनी बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने आदि के मामलों को लेकर बहुत कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन इस समय देश जिस आपदा के दौर से गुजर रहा है उसमें पहले लोगों की हिफाजत करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने पाबंदियों को लेकर जो दिशा निर्देश दिए हैं उनका पालना सभी को करना चाहिए।
जयपुर में विधायकों की बाड़ाबंदी खत्म:
चुनाव स्थगित होने के साथ ही जयपुर में पिछले पन्द्रह दिनों से रह रहे गुजरात के अस्सी कांग्रेस विधायकों की भी बाड़ाबंदी खत्म हो गई है। कांग्रेस विधायकों में बगावत को देखते हुए गुजरात के सभी कांग्रेस विधायकों को जयपुर के शिव विलास होटल में रखा गया था। 24 मार्च को स्पाइस जेट के विमान से सभी विधायक अहमदाबाद पहुंच गए। चूंकि कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए 24 मार्च की रात से सभी स्वदेशी उड़ानों को भी रद्द कर दिया गया है, इसलिए गुजरात के विधायकों को दिन में ही जयपुर से अहमदाबाद पहुंचा दिया।
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