अजमेर प्रशासन को दूसरी बीमारियों के मरीजों का भी ख्याल रखना चाहिए।

अजमेर प्रशासन को दूसरी बीमारियों के मरीजों का भी ख्याल रखना चाहिए।
प्राइवेट अस्पतालों, होटलों, धर्मशालाओं समारोह स्थलों का अधिग्रहण उचित।
विधायक देवनानी ने की कलेक्टर से बात।
अजमेर जिले में अभी तक कोरोना का एक भी पॉजिटिव नहीं। 

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27 मार्च को भी अजमेर के लिए यह सुखद बात है कि जिले में कोरोना वायरस का एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिला है। हालांकि चिकित्सा विभाग ने 19 मरीजों को संदिग्ध तथा 2600 व्यक्तियों को घरों पर ही निगरानी में रखा है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग लगातार सतर्कता बरत रहा है। इसके अंतर्गत प्राइवेट अस्पताल, होटल, धर्मशाला समारोह स्थल आदि का अधिग्रहण किया गया है। आपात स्थिति में ऐसे स्थलों का अधिग्रहण किया जाना उचित है, क्योंकि कभी ऐसे स्थानों की आवश्यकता हो सकती है। लेकिन प्रशासन को कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों के मरीजों का भी ख्याल रखना चाहिए। अभी तक अजमेर के पुष्कर रोड स्थित जिस मित्तल अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर का अधिग्रहण किया गया है, उस अस्पताल में प्रतिदिन 500 मरीज जांच पड़ताल के लिए आते हैं। दो सौ से भी ज्यादा मरीज हमेशा भर्ती रहते हैं। चूंकि अस्पताल में वेंटीलेटर की भी सुविधा है, इसलिए गंभीर बीमारी के मरीज भी अस्पताल में भर्ती होते हैं। इतना ही नहीं डायलसिस की सात मशीने भी इसी अस्पताल में है, इसलिए डायलसिस वाले मरीजों का भी तांता लगा रहता है। सरकार के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में तो पिछले कई माह से डायलसिस मशीनें बंद पड़ी हुई है। सरकारी अस्पताल का भार भी इसी अस्पताल पर पड़ता है। मित्तल अस्पताल में बाईपास सर्जरी भी आए दिन होती है। जिला प्रशासन क्षेत्रपाल अस्पताल, नर्सिंग होम आदि के प्रबंधकों के भी सम्पर्क में है। हो सकता है कि शेष प्राइवेट अस्पतालों का भी अधिग्रहण कर लिया जाए। ऐसे में सवाल उठता है कि प्राइवेट अस्पतालों के मरीजों का क्या होगा? इन अस्पतालों के ऐसे सैकड़ों मरीज हैं जिन्हें हर समय चिकित्सकों की जरुरत होती है। इन अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों से ही सैकड़ों मरीज अपना इलाज करवाते हैं। लेकिन अब मित्तल अस्पताल का अधिग्रहण कर लिया है, ऐसे मरीजों के सामने संकट खड़ा हो गया है। लॉक डाउन की वह से मरीज जयपुर भी नहीं जा सकते। जहां तक सरकारी जेएलएन अस्पताल का सवाल है तो उसे सिर्फ कोरोना वायरस के संदिग्ध और पॉजिटिव मरीजों के लिए ही सुरक्षित रखा जा रहा है। कहा गया है कि यदि एक भी पॉजिटिव केस आ गया तो जेएलएन अस्पताल को बंद कर दिया जाएगा। यानि जेएलएन में सिर्फ कोरोना पॉजिटिव का ही इलाज होगा। माना की कोरोना भी जानलेवा रोग है, लेकिन हृदय रोग, श्वास दमा, डायबिटिज, न्यूरो आदि भी ऐसे रोग है, यदि इलाज नहीं मिला तो जान जा सकती है। सरकार का उद्देश्य हर मरीज को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाना है। ऐसा नहीं हो सकता कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते दूसरी बीमारियों के मरीजों को अपने हाल पर छोड़ दिया जाए। अजमेर प्रशासन को ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जिसमें अन्य बीमारियों के मरीज भी अपना इलाज करवा सके।
मित्तल अस्पताल प्रबंधन आदेश का पालन करेगा:
पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर के निदेशक मनोज मित्तल ने कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी है। इस संकट के दौर में अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह प्रशासन के साथ है। हमें 26 मार्च को अधिग्रहण का नोटिस मिला था। नोटिस मिलते ही हमने मरीजों की भर्ती बंद कर दी तथा अब आउटडोर में भी मरीजों को नहीं देखा जा रहा है। अस्पताल में कार्यरत 500 चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ को कहा गया है कि वे अब सरकार के दिशा-निर्देशों का ही पालन करें। अस्पताल प्रबंधन को अधिग्रहण पर कोई ऐतराज नहीं है। प्रबंधन सरकार के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करेगा। स्टाफ को पहले की तरह प्रबंधन की ओर वेतन भी दिया जाएगा।
देवनानी ने की कलेक्टर से बात:
प्राइवेट अस्पतालों अधिकृत करने और इन अस्पतालों के मरीजों को होने वाली परेशानी के संबंध में 27 मार्च को भाजपा विधायक वाुसदेव देवनानी ने जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा से बात की। देवनानी के सुझावों को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया। कलेक्टर का भी मानना रहा कि अन्य मरीजों को भी कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिग्रहण की कार्यवाही करते समय संबंधित प्राइवेट अस्पताल के मरीजों के हितों का भी ख्याल रखा जाएगा।
इन स्थलों का हुआ अधिग्रहण:
प्रशासन ने मित्तल अस्पताल के साथ-साथ वैशाली नगर स्थित होटल मानसिंह, लोहागल स्थित स्टार क्वीन समारोह स्थल, जेएलएन अस्पताल के निकट विजय लक्ष्मी पार्क, लखोटिया धर्मशाला, इंडोर स्टेडियम, रेडक्रॉस सोसायटी और खादिम ट्यूरिस्ट बंगलों का भी अधिग्रहण किया है। इसी प्रकार पुष्कर में माहेश्वरी समाज के सेवासदन, होटल आराम बाग और डेरा मसूदा होटल का भी अधिग्रहण किया गया है।
जयपुर में प्राइवेट अस्पतालों के 25 प्रतिशत बैड आरक्षित:
कोरोना वायरस के मद्देनजर जयपुर में प्राइवेट अस्पतालों के 25 प्रतिशत बैड आरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं। जयपुर में अभी तक किसी भी अस्पताल के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। कोरोना वायरस के मरीजों के लिए सवाई मानसिंह अस्पताल में विशेष वार्ड बनाया गया है। यही पर संदिग्ध भी रखे जा रहे हैं।
(एस.पी.मित्तल) (27-03-2020)
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