आखिर गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लॉकडाउन में राजस्थान में शराब की दुकानें क्यों खोल रहे हैं?
आखिर गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लॉकडाउन में राजस्थान में शराब की दुकानें क्यों खोल रहे हैं?
जब 25 दिन शराब का सेवन किए बगैर रहा जा सकता है तो फिर अब शराबियों की चिंता क्यों?
13 अप्रैल को न्यूज चैनलों पर प्रकाशित खबरों में बताया जा रहा है कि 15 अप्रैल से शुरू होने वाले लॉकडाउन के दूसरे चरण में राजस्थान में शराब की दुकानों को खोलने का निर्णय लिया जा सकता है। इस संबंध में आबकारी विभाग में आम सहमति भी बन गई है। राजस्थान में आबकारी विभाग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही है। सब जानते हैं कि अशोक गहलोत की छवि एक गांधीवादी मुख्यमंत्री के तौर पर मानी जाती है। स्वयं गहलोत भी शराब का सेवन नहीं करते हैं। यही वजह है कि गहलोत को राजस्थान का गांधी भी कहा जाता है। लेकिन अब अपनी छवि के विपरीत यदि लॉकडाउन में शराब की दुकानें खोलने का निर्णय गहलोत लेते हैं तो उनकी गांधीवादी छवि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। सवाल यह भी है कि जब 25 दिनों से बगैर शराब के रहा जा सकता है तो फिर सरकार को शराबियों की चिंता क्यों हो रही है। सब जानते हैं कि राजस्थान में 22 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन में किसी भी शराबी को शराब अथवा अन्य नशीले पदार्थ उपलब्ध नहीं हुए हैं। क्योंकि लॉकडाउन में बाजार पूरी तरह बंद हैं। बंद के इस दायरे में शराब की दुकानें भी रखी गई है। हालांकि लॉकडाउन में खाद्य सामग्री सब्जी, मेडिकल स्टोर आदि की दुकानों को मुक्त रखा है, लेकिन शराब की दुकानों को सख्ती से बंद करवाया गया है। यह भी तब हुआ है जब वित्तीय वर्ष 2019-20 में पुराने लाइसेंस धारियों की अवधि 31 मार्च को समाप्त हो गई थी। सरकार भी मानती है कि लॉकडाउन की वजह से दुकानों में रखे शराब के स्टॉक को लेकर भी आबकारी विभाग के सामने अनेक समस्याएं खड़ी होंगी। जिन लोगों को 1 अप्रैल से शराब बेचने की अनुमति मिली है वे भी अपनी दुकानों शुरू नहीं कर सके हैं। जब सरकार इतनी मुसीबतों का सामना कर सकती है तब लॉकडाउन में शराब की दुकान खोलना उचित नहीं है। हो सकता है कि अभी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति नहीं हुई हो। गहलोत को चाहिए कि शराबियों की चिंता छोड़कर आम व्यक्ति की चिंता की जानी चाहिए। एक तरफ गहलोत ने निरोगी राजस्थान का नारा दिया है उसमें शराबबंदी का प्रावधान भी है। राजस्थान तभी निरोगी हो सकता है, जब शराब जैसे नशीले पदार्थों की बिक्री बंद हो। ऐसी अनेक बीमारियां है जो शराब के सेवन से ही होती है। जब हमें राजस्थान को निरोगी बनाना है, तब शराब की बिक्री की चिंता नहीं करना चाहिए। आंकड़े बताते हैं कि शराब न पीकर व्यक्ति स्वस्थ्य रहता है, जिसका आर्थिक लाभ सरकार को होता है। जितनी रॉयल्टी सरकार को शराब की बिक्री से होती है, उससे ज्यादा राशि सरकार को शराबियों का स्वास्थ करने के लिए खर्च करनी पड़ती है। यदि लोग स्वस्थ रहेंगे तो सरकार द्वारा स्वास्थ्य पर किया जाना वाला खर्चा भी बचेगा।
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