महेन्द्रजीत सिंह मालवीय तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के विधायक हैं, तो फिर बीटीपी विधायकों पर दस-दस करोड़ रुपए लेने का आरोप क्यों लगाया? सीएम गहलोत मालवीय के आरोपों को भी भाजपा की साजिश बता रहे हैं। क्या मालवीय के भी पाला बदलने का डर है? राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर तूफान। सचिन पायलट तो कोरोना संक्रमित होकर दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती हैं।

जुलाई-अगस्त से राजस्थान के जो 18 कांग्रेसी विधायक सचिन पायलट के नेतृत्व में दिल्ली गए थे, उनमें बांसवाड़ा के बागीदौरा के विधायक महेन्द्र जीत सिंह मालवीय नहीं थे। मालवीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ जयपुर और जैसलमेर की होटलों में रहे। मालवीय पूरी ईमानदारी और वफादारी के साथ सीएम खेमे में रहे। लेकिन अब मालवीय ने सीएम गहलोत को परेशानी में डालने वाला बयान दिया है। पंचायतीराज के चुनाव में बांसवाड़ा स्थित आनंदपुरी की मुंदरी में एक सभा को संबोधित करते हुए मालवीय ने भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के विधायक रामप्रसाद डिंडोर (सागवाड़ा) तथा राजकुमार रीत (चौरासी) पर गंभीर आरोप लगाए। 25 नवम्बर को चुनावी सभा में मालवीय ने कहा कि बीटीपी के इन दोनों विधायकों ने पहले राज्यसभा चुनाव और फिर जुलाई-अगस्त के सियासी संकट के समय 5-5 करोड़ रुपए लिए। यानि एक विधायक ने दस-दस करोड़ रुपए। सब जानते हैं कि राज्यसभा चुनाव में बीटीपी के दोनों विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट दिया तथा सियासी संकट के समय भी दोनों विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ होटलों में रहे। यानि बीटीपी के विधायक किन कारणों से सीएम के साथ रहे, इसकी जानकारी महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को रही। मालवीय के बयान से प्रतीत होता है कि राज्यसभा चुनाव और सियासी संकट के समय अशोक गहलोत ने किस तरह समर्थन जुटाया। मालवीय अब इस बात से नाराज हैं कि पंचायत राज चुनाव में बीटीपी के दोनों विधायक कांग्रेस की खिलाफत कर रहे हैं। मालूम हो कि आदिवासी बहुल्य बांसवाड़ा की जिला परिषद और पंचायत समितियों के वार्डों के चुनाव में बीटीपी ने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। बीटीपी के उम्मीदवार कांग्रेस और भाजपा पर भारी पड़ रहे हैं। इससे कांग्रेस को ज्यादा नुकसान है। बीटीपी के उम्मीदवारों को जीताने में पार्टी के दोनों विधायकों ने पूरी ताकत लगा रखी है। महेन्द्रजीत सिंह मालवीय की पत्नी श्रीमती रेशम मालवीय बांसवाड़ा की तीन बार जिला प्रमुख रही है तथा अभी पंचायतीराज चुानव में श्रीमती मालवीय की महत्वपूर्ण भूमिका है। कांग्रेस के अधिकांश उम्मीदवार श्रीमती मालवीय ने ही तय किए हैं। पति-पत्नी दोनों को लगता है कि जिन लोगों ने दस-दस करोड़ रुपए ले लिए वो ही अब विरोध कर रहे हैं।
सीएम का भाजपा पर आरोप:
बीटीपी के विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने की कीमत वसूली है इसका खुलासा सीएम गहलोत के समर्थक विधायक मालवीय ने ही किया है,लेकिन इसमें भी सीएम गहलोत को भाजपा की साजिश नजर आ रही है। सीएम अने अपने समर्थक विधायक मालवीय के बयान पर तो कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि यह सब भाजपा के नेता करवा रहे हैं। भाजपा के नेताओं का ही कहना है कि कांग्रेस के विधायक पैसे के खातिर सरकार छोड़कर जा सकते हैं। सीएम गहलोत के बयान के साथ ही सवाल उठता है कि क्या महेन्द्रजीत सिंह मालवीय भी सरकार के खिलाफ हो रहे हैं? असल में सवाल तो गहलोत और मलावीय से किया जाना चाहिए। मालवीय को ही यह बताना चाहिए कि बीटीपी के विधायकों को दस-दस करोड़ रुपए किस तरह से दिए गए। यहां यह उल्लेखनीय है कि जुलाई-अगस्त में जब 18 कांग्रेसी विधायक सचिन पायलट के नेतृत्व में दिल्ली गए थे, तब भी सीएम गहलोत ने दावा किया था कि 35-35 करोड़ रुपए में कांग्रेस के विधायकों को खरीदा जा रहा है। तब गहलोत ने कांग्रेस के विधायकों की तुलना घोड़ों से की थी। हालांकि कांग्रेस के विधायकों को घोड़ा कहा गया, अब उन्हीं के समर्थन से प्रदेश में अशोक गहलोत की सरकार चल रही है। यह सही है कि जुलाई-अगस्त  में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली गए थे, लेकिन अब तो सचिन पायलट भी कोरोना संक्रमित होकर दिल्ली के एम्स अस्तपाल में भर्ती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस के विधायक किस नेता के माध्यम से भाजपा के सम्पर्क में हैं?

S.P.MITTAL BLOGGER (28-11-2020)
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