हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन चुनाव में भाजपा की धमाकेदार एंट्री। केसीआर की टीआरएस और ओवैसी की एआईएमआईएम को टक्कर। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव की रणनीति सफल। कांग्रेस और कमजोर हुई।

4 दिसम्बर को दोपहर ढाई बजे तक हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के 150 वार्डों के जो परिणाम सामने आए उसमें तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस को 60, भाजपा को 40 और एआईएमआईएम को 32 सीटों पर बढ़त बताई जा रही है। भले ही इन चुनावों में भाजपा हैदराबाद में अपना मेयर बनाने में सफल न हो, लेकिन मुख्यमंत्री केसीआर और असदुद्दीन ओवैसी को जोरदार टक्कर दी है। गत बार भाजपा को मात्र दो वार्डों में जीत हासिल हुई थी, लेकिन इस बार 30 से भी ज्यादा पार्षद बनने की उम्मीद जताई जा रही है। असल में इन चुनावों के लिए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव ने जो रणनीति बनाई उसी का परिणाम है कि हैदराबाद जैसे महानगर में भाजपा को जबर्दस्त राजनीतिक सफलता मिली है। यादव बिहार के प्रभारी महासचिव हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव से फ्री होते ही यादव ने हैदराबाद में डेरा डाल दिया। म्यूनिसिपल चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह तक को प्रचार के लिए बुलाया।  तब एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि अब भाजपा वाले अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी बुलाकर प्रचार करवा लें। ओवैसी ने दावे के साथ कहा कि भाजपा को हैदराबाद में सफलता नहीं मिलेगी। जब यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ ने हैदराबाद का नाम दोबारा से भाग्य नगर रखने की बात कही तो ओवैसी ने कहा कि भाजपा की नसलें खत्म हो जाएगी, लेकिन हैदराबाद भाग्य नगर नहीं बनेगा। भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं की उपस्थिति पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। हैदराबाद पर टीआरएस और एआईएमआईएम का ही कब्जा रहा है। इसलिए इन दोनों दलों ने भाजपा की उपस्थिति को गंभीरता के साथ नहीं लिया। लेकिन चुनाव परिणाम बताते हैं कि हैदराबाद की जनता ने भाजपा को जोरदार समर्थन दिया है। इन चुनावों में 32 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। अब तक यह माना जाता रहा कि हैदराबाद में भाजपा के लिए कोई जगह नहीं है। लेकिन म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के परिणाम बताते हैं कि हैदराबाद में भाजपा को और अधिक सफलता मिल सकती है। तेलंगाना में 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में कार्पोरेशन के चुनाव परिणाम भाजपा की हौंसला अफजाई करेंगे। कार्पोरेशन  के चुनाव परिणाम की एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कांग्रेस की स्थिति पहले से भी कमजोर नजर आ रही है। कार्पोरेशन में पहले कांग्रेस के दो पार्षद थे, लेकिन इस बार 2 पार्षद चुनन भी मुश्किल हो रहा है। चूंकि कार्पोरेशन के चुनाव मतपत्र से हुए इसलिए मतगणना में अधिक समय लग रहा है।  

S.P.MITTAL BLOGGER (04-12-2020)
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