तो मुख्य सचिव के पद से अचानक हटाए जाने पर इसलिए चुप रहे डीबी गुप्ता। अब मुख्य सूचना आयुक्त बने। अहसान करने वालों को वाकई ब्याज सहित भुगतान करते हैं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। सूचना आयोग में नियुक्तियों के मामले में भी देखते रह गए मेहनतकश कांग्रेसी। आरपीएससी में भी ऐसे ही की थी नियुक्तियां।

सब जानते हैं कि डीबी गुप्ता को गत दो जुलाई को राजस्थान के मुख्य सचिव के पद से अचानक हटा दिया था। गुप्ता को इस तरह हटाए जाने की चर्चा इसलिए हुई, क्योंकि तीन माह बाद 30 सितम्बर को गुप्ता की सेवानिवृत्त होने वाली थी। मुख्य सचिव के पद से हटाए जाने के बाद नई नियुक्ति का आदेश भी नहीं निकाला, लेकिन फिर भी गुप्ता चुप रहे। तब गुप्ता की चुप्पी पर प्रशासनिक क्षेत्र में आश्चर्य व्यक्त किया गया, लेकिन 4 दिसम्बर को अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गुप्ता को राजस्थान का मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त कर दिया। इस नियुक्ति से साफ जाहिर होता है कि मुख्य सचिव के पद से हटाए जाने के समय ही सौदेबाजी हो गई थी। यह भी सब जानते हैं कि राजस्थान में जुलाई-अगस्त में ही राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ था। सचिन पायलट के नेतृत्व में जब कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब अशोक गहलोत सरकार के लिए संकट हो गया था। राजनीतिक संकट के बीच ही गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि इस मुसीबत के दौर में जो लोग उनके साथ खड़े हैं, उसका भुगतान ब्याज सहित किया जाएगा। चूंकि डीबी गुप्ता भी गहलोत के साथ खड़े रहे, इसलिए अब मुख्य सूचना आयुक्त बना कर ब्याज सहित भुगतान के कथन को सही साबित कर दिया। अब आगामी पांच वर्ष तक डीबी गुप्ता सरकारी सुख सुविधा का उपयोग कर सकेंगे, क्योंकि मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर 65 वर्ष की उम्र तक रहा जा सकता है। गुप्ता तो 30 सितम्बर को ही आईएएस से रिटायर हुए हैं। यानि गुप्ता ने तीन माह के लिए मुख्य सचिव का मोह छोड़ा उसकी एवज में पांव वर्ष तक के लिए सरकारी सुख सुविधा मिलम गई है। मुख्य सूचना आयुक्त का पद संवैधानिक हैं, इसलिए राज पलटने पर भी गुप्ता को कोई नहीं हटा सकेगा।

देखते रह गए मेहनतकश कांग्रेसी:

सरकार ने डीबी गुप्ता को मुख्य सूचना आयुक्त बनाने के साथ ही पत्रकार नारायण बारेठ और सामाजिक कार्यकर्ता शीतल धनकड़ को आयोग का सदस्य नियुक्त किया है। बारेठ राजस्थान में बीबीसी के संवाददाता रह चुके हैं तथा अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में भी बारेठ को हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में शिक्षक नियुक्त किया था। इस बार के कार्यकाल में गहलोत ने बारेठ को सूचना आयुक्त नियुक्त कर दिया है। गहलोत के पिछले कार्यकाल में पर्यटन निगम के अध्यक्ष रहे रणदीप धनकड़ की पुत्री और सामाजिक कार्यकर्ता शीतल धनकड़ को भी सूचना आयुक्त बनाया गया है। राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों की चर्चा अक्सर होती रहती है। मेहनतकश कांग्रेसियों को सरकारी पदों पर बैठाने कीमाग करते करते सचिन पायलट को खुद डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष गंवाना पड़ा। सीएम गहलोत अब अपने नजरिए से ही नियुक्तियां दे रहे हैं। दो माह पहले राजस्थान लोक सेवा आयोग में एक साथ पांच सदस्यों की नियुक्ति की गई। पुलिस महानिदेशक के पद से आठ माह पहले हटाने की एवज में भूपेन्द्र यादव को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। मौजूदा मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी श्रीमती संतीगा आर्य को भी आयोग का सदस्य बनाया गया। सुप्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार विश्वास की पत्नी डॉ. मंजू शर्मा को भी आयोग का सदस्य बनाया गया। अब कुमार विश्वास सीएम गहलोत की शान में कसीदें गढ़ रहे हैं। मेरा युद्ध कैंसर के विरुद्ध पुस्तक के लेखक जसवंत राठी और शिक्षा अधिकारी बाबूलाल कटारा को भी आयोग का सदस्य बना कर उपकृत किया गया। इन नियुक्तियों में मेहनत काश कांग्रेसियों की तलाश की जा रही है। इसमें कोईदो राय नहीं कि जो लोग मुख्यमंत्री गहलोत के साथ खड़े होते हैं उन्हें वाकई ब्याज सहित भुगतान होता है, भले ही ऐसे लोगों की हैसियत कुछ भी हो। जानकारों की माने तो जुलाई अगस्त में जो विधायक सीएम के साथ रहे उन सभी को उपकृत करने की योजना बनाई जा रही है। जो विभाग मंत्री या संसदीय सचिव बनने से रह जाएंगे उन्हें नगर सुधार न्यास तक का अध्यक्ष बनाया जा सकता है ताकि कार दफ्तर स्टाफ बंगला आदि का बंदोबस्त हो सके। 

S.P.MITTAL BLOGGER (05-12-2020)

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