राजस्थान में अफसरशाही के बेजा इस्तेमाल का पहली बार विरोध हुआ। अन्य सेवा के अधिकारियों को मनमर्जी से आईएएस में पदोन्नत करने की प्रक्रिया का आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष शाहीन अली ने विरोध किया। राजस्थान लोक आयोग के अध्यक्ष और पुलिस महानिदेशक रहे भूपेन्द्र यादव पर लगे आरोपों की खबर भास्कर में छपी। सीएम अशोक गहलोत की पसंद की वजह से यादव अध्यक्ष बने।
सब जानते हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आईएएस और आईपीएस अफसरों का इस्तेमाल अपने राजनीतिक नजरिए से कर रहे हैं। सीएम गहलोत के ऐसे कृत्यों से प्रशासनिक तंत्र में बेचेनी भी है, लेकिन विरोध करने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई। लेकिन 7 दिसम्बर को पहला अवसर रहा, जब राजस्थान आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष शाहीन अली ने सरकार की गलत नीतियो और निर्णयों का खुला विरोध किया। राज्य सरकार ने अन्य सेवा के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत करने की जो प्रक्रिया अपनाई है, उसे शाहीन ने नियम विरुद्ध बताया है। राज्य में ऐसी कोई विशेष परिस्थितियां नहीं है जिनमें रातों रात अन्य सेवा के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत किया जाए। आईएएस में पदोन्नति का पहला हक आरएएस अधिकारियों का बनता है। एसोसिएशन अपने हकों के लिए अंतिम समय तक लड़ेगी। शाहीन अली की प्रतिक्रिया को मौजूदा प्रशासनिक हालातों में बहुत महत्वपूर्ण माना जारहा है, क्योंकि ऐसा तगड़ा विरोध तो दिग्गज आईएएस अफसरों ने भी नहीं किया। यह बात अलग है कि चुप रहने की एवज में ऐसे आईएएस रिटायरमेंट के बाद सरकार की मलाई चाट रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार ने अन्य सेवा के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत करने के लिए 7 दिसम्बर को स्क्रीनिंग कमेटी बनाई और हाथों हाथ बैठक भी कर ली। इतना ही नहीं बैठक में चार रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए 20 अधिकारियों का पैनल भी तैयार कर लिया। इस पैनल में गहलोत सरकार की एक महिला मंत्री का पति भी शामिल हैं। अब इस पैनल को अनुमति के लिए केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा। सूत्रों के अनुसार अन्य सेवा से आईएएस बनाने का मामला पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है। यह मामला कैंट में भी विचाराधीन है। वैसे भी गहलोत सरकार जिन चार रिक्त पदों पर भर्ती करना चाहती है वे पिछले वर्ष है, जबकि नियमों मे कैरी फरवार्ड का कोई प्रावधान नहंी है। सब जानते हैं कि 10 आईएएस की वरिष्ठता को लांघ कर सीएम गहलोत ने अपने पसंदीदा आईएएस निरंजन आर्य को हाल ही में मुख्य सचिव बनाया है। इसी प्रकार तीन-चार आईपीएस की वरिष्ठता को दरकिनार कर एमएल लाठर को पुलिस महानिदेशक बनाया। डीबी गुप्ता को रिटायरमेंट से तीन माह पहले मुख्य सचिव के पद से हटा कर राजीव स्वरूप को मुख्य सचिव बना दिया। हालांकि अब डीबी गुप्ता को मुख्य सूचना आयुक्त बनाकर उप कृत कर दिया।
आईएएस यशवंत को हटाने की भी चर्चा:
7 दिसम्बर की रात को कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। इस बैठक के मात्र दो घंटे बाद ही सामान्य प्रशासन और कैबिनेट सचिवालय के सचिव डॉ. प्रीतम बी यशवंत को हटा दिया गया। अब यशवंत को विभागीय जांच का आयुक्त बनाया गया है। यानि जिस अधिकारी कैबिनेट मंत्रियों की बैठक सम्पन्न करवाई, उसे ही हटा दिया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि मौजूदा सरकार में आईएएस की स्थिति कैसी है।
आरोपों की खबर छपी:
सब जानते हैं कि सीएम गहलोत की पहल पर ही भूपेन्द्र यादव को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। यादव पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे, लेकिन कार्यकाल के 8 माह पहले ही यादव ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांग ली। कोई आईपीएस पुलिस महानिदेशक का पद किन कारणों से छोड़ेगा, यह सभी को पता होता है। पुलिस महानिदेशक का पद छोड़ते ही यादव ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष का पद ग्रहण कर लिया। अब 8 दिसम्बर को दैनिक भास्कर अखबार में यादव को लेकर एक खबर छपी है। इस खबर में बताया गया है कि अजमेर जिले की मसूदा तहसील में आने वाले पीपलाज गांव के निवासी राजेश कुमार ने राज्यपाल कलराज मिश्र को एक पत्रि लिखा है। दस पेज के इस पत्र में यादव के डीजीपी पद के कार्यकाल को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं तथा यादव की संपत्तियों की जांच करवाने की मांग की है। पत्र में संपत्तियों के बारे में भी जानकारी दी गई है। राज्यपाल ने इस शिकायती पत्र को जांच के लिए गृह विभाग को भेज दिया है। राज भवन की कार्यवाही के बाद ही आरोपों की गंभीरता बढ़ गई है।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-12-2020)
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