प्रभारी मंत्री लाल चंद कटारिया और जिले के एक मात्र मंत्री रघु शर्मा भी दूर हैं अजमेर नगर निगम के चुनाव से। अपने दम पर चुनाव लड़ रहे हैं कांग्रेस के उम्मीदवार कई वार्डों में रोचक मुकाबला।
राजस्थान में 90 नगर निकायों में 28 जनवरी को चुनाव होना है। इसमें एक मात्र नगर निगम अजमेर का है। लेकिन निगम चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों की मदद करने के लिए कोई भी बड़ा नेता अजमेर नहीं आ रहा है। कांग्रेस की जिला और ब्लॉक कमेटियां भंग पड़ी हुई है। टिकिट वितरण को लेकर निवर्तमान शहर अध्यक्ष विजय जैन पहले ही नाराज़गी जता चुके हैं। निगम के 80 वार्ड हैं, लेकिन कांग्रेस 74 वार्डों में ही चुनाव लड़ रही है। मुस्लिम बहुल्य तीन वार्डों में कांग्रेस ने उम्मीदवार ही खड़े नहीं किए, जबकि तीन वार्डों को कांग्रेस की ओर से नामांकन ही नहीं हो सका। राजनीतिक दृष्टि से अजमेर नगर निगम के चुनाव महत्वपूर्ण हैं। लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता अजमेर आने से परहेज कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं के गुस्से को देखते हुए पर्यवेक्षक शारदाकांत शर्मा तो अजमेर आने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं। अजमेर के प्रभारी मंत्री के तौर पर कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया को नियुक्त कर रखा है, लेकिन टिकिट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार के अंतिम दौर तक कटारिया अजमेर नहीं आए हैं। इसी प्रकार जिले के एक मात्र मंत्री रघु शर्मा ने भी नगर निगम के चुनाव से दूरी बना रखी है। रघु शर्मा अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी के नगर पालिका के चुनाव में तो सक्रिय हैं, लेकिन नगर निगम के चुनाव में कोई रुचि नहीं दिखा रहे। रघु शर्मा गत 21 जनवरी से ही केकड़ी में डेरा जमाएं बैठे हैं। केकड़ी में शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर है। सरकारी कर्मचारियों से लेकर जाति समुदाय की बैठकें लगातार की जा रही है। हाल ही के पंचायत चुनाव के परिणामों को देखते हुए भी रघु शर्मा पालिका चुनाव को लेकर चिंतित हैं। पंचायतीराज के चुनाव में केकड़ी में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। यही वजह है कि अब केकड़ी के चालीस वार्डों के लिए रघु शर्मा ने पूरी ताकत लगा रखी है। हालांकि शर्मा का अजमेर शहर में भी प्रभाव है और अजमेर के कई उम्मीदवार चाहते हैं कि शर्मा अजमेर आए, लेकिन अभी तक भी शर्मा का अजमेर आने का कोई प्रोग्राम घोषित नहीं हुआ है। 28 जनवरी को सुबह 8 बजे से मतदान होना है, इसलिए 26 जनवरी को शाम पांच बजे से ही चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। यही वजह है कि कांग्रेस के उम्मीदवारों को अपने दम पर चुनाव लडऩा पड़ रहा है। गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेन्द्र सिंह रलावता और हेमंत भाटी उन्हीं वार्डों में सक्रिय हैं, जहां उनकी सिफारिश से टिकिट मिला है। अलबत्ता निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन अपने समर्थकों के साथ सभी वार्डों का दौरा कर उम्मीदवारों की हौंसला अफजाई कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी का खामियाजा भी उम्मीदवारों को उठाना पड़ रहा है। हालांकि गुटबाजी भाजपा में भी है, लेकिन भाजपा के प्रदेश स्तर के कई नेता निगम चुनाव में सक्रिय हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और भाजपा सरकार में मंत्री रहे अरुण चतुर्वेदी एक एक वार्ड की निगरानी कर रहे हैं। शहर के दोनों भाजपा विधायक भी अपने अपने क्षेत्रों के वार्डों में सक्रिय हैं। लेकिन वहीं भाजपा में कई वार्डों में अधिकृत उम्मीदवारों को कांग्रेस के बजाए अपने बागी उम्मीदवारों से ही मुकाबला करना पड़ रहा है। ऐसे में वार्डों में हार जीत का फैसला भी भाजपा और बागी उम्मीदवार के बीच ही होगा। इसमें कोटड़ा क्षेत्र का वार्ड संख्या 3 प्रमुख है। यहां बागी उम्मीदवार श्रीमती संध्या काबरा अपनी ही पार्टी की उम्मीदावर श्रीमती प्रतिभा पाराशर को कड़ी टक्कर दे रही हैं। इसी प्रकार वार्ड 57 में भाजपा के उम्मीदवार हिमांश सेठी को भी अपनी ही पार्टी के रणजीत सिंह से चुनौती मिल रही है। यह वार्ड दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में आता है। इसीलिए क्षेत्रीय विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने जातिगत समीकरण बैठाते हुए हिमांश सेठी को उम्मीदवार बनाया, लेकिन उत्तर क्षेत्र के भाजपा के एक कद्दावर नेता के संरक्षण की वजह से रणजीत सिंह ने भी अपना दावा ठोक दिया। हिमांश सेठी की छवि साफ सुथरी और मेहनती युवा की है। लेकिन सेठी को जहां अपनी ही पार्टी में बगावत का सामना करना पड़ रहा है वहीं भाजपा के निवर्तमान पार्षद सुरेन्द्र सिंह शेखावत की गैर मौजूदगी का भी नुकसान हो रहा है। शेखावत ने पांच वर्ष पहले पाल बीसला-तोपदड़ा वाले इस वार्ड से चुनाव जीता, लेकिन फिर वार्ड के मतदाताओं से कोई संपर्क नहीं रखा। क्षेत्रीय नागरिक अपने पार्षद को ढूंढते ही रहे। भाजपा की आपसी लड़ाई का फायदा कांग्रेस के उम्मीदवार दीपक यादव उठाना चाहते हैं। भाजपा के निवर्तमान पार्षद शेखावत की गैर मौजूदगी को मुद्दा बना कर यादव कांग्रेस के लिए वोट मांग रहे हैं। इसी प्रकार वार्ड संख्या 68 में भाजपा उम्मीदवार श्रीमती इंद्रा यादव का मुकाबला कांग्रेस की श्रीमती अनिता चौरसिया से है। इंद्रा यादव पूर्व पार्षद और हाथी भाटा क्षेत्र के लोकप्रिय नेता स्वर्गीय सूरजभान यादव की पत्नी है। इंद्रा यादव को सूरजभान यादव की लोकप्रियता और सहानुभूति का लाभ मिल रहा है। S.P.MITTAL BLOGGER (25-01-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9509707595To Contact- 9829071511