कृषि सुधार कानूनों को लेकर किसानों को आंदोलन करने की जरुरत नहीं। चौधरी चरण सिंह से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह ने जो कहा, उसी के अनुरूप कानून बनाएं। दुग्ध उत्पादकों की तरह किसानों को क्यों नहीं मिले उत्पाद बेचने की आजादी? कृषि के क्षेत्र में डेयरी का 28 प्रतिशत का योगदान है। देश में श्रमजीवी, बुद्धिजीवी के बाद अब आंदोलनजीवी भी हो गए हैं। यह देश हर सिक्ख के लिए गर्व करता है। देश में प्रति माह 4 लाख करोड़ रुपए का डिजिटल लेन देन हो रहा है। किसान आंदोलन और भारत के विकास पर उठाए विपक्ष के हर सवाल का जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया।

8 फरवरी को किसान आंदोलन और भारत के विकास को लेकर विपक्ष के नेताओं के हर सवाल का जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में दिया। ऐसे सवाल विपक्ष के सांसदों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद सदन में हुई बहस में उठाए थे। कोई 80 मिनट के जवाब में मोदी ने 25 मिनट से ज्यादा समय किसान आंदोलन को दिया। मोदी ने अपने जवाबों में स्पष्ट कर दिया कि तीनों कृषि सुधार कानून लागू रहेंगे, लेकिन जरुरत होने पर संशोधन किया जा सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह के कथनों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि इन्हीं की सोच और विचार के अनुरूप कृषि के क्षेत्र में सुधार किया जा रहा है। चौधरी चरण सिंह के वारिसों और डॉ. मनमोहन सिंह की पार्टी के लोगों को तो मुझे शाबाशी देनी चाहिए, लेकिन आज ऐसे लोग सुधारों का विरोध कर रहे हैं। मोदी ने सवाल उठाया कि जिस प्रकार दुग्ध उत्पादकों को अपना उत्पादक बेचने की आजादी है, उसी प्रकार किसान को अपनी फसल बेचने की आजादी क्यों नहीं मिले? हम सब जानते हैं कि देश में दुग्ध का कारोबार दो भागों में विभाजित है। एक प्राइवेट सेक्टर की डेयरियां और दूसरा सहकारिता का क्षेत्र। दोनों ही अपने अपने तरीके से काम कर रहे हैं। यही वजह है कि आज डेयरी के नए नए उत्पाद बाजार में मिलने लगे हैं। क्या किसी प्राइवेट डेयरी के मालिक ने किसी पशु पालक के पशुओं पर कब्जा किया है? दुग्ध उत्पादक स्वतंत्रत है कि वह अपना दुग्ध प्राइवेट डेयरी को दे या फिर सहकारिता के क्षेत्र वाली डेयरी को। प्राइवेट डेयरियों से प्रतिस्पर्धा के कारण सहकारिता क्षेत्र की डेयरियों के काम काज में भी सुधार हुआ है। देश के किसानों को बताना चाहता हंू कि कृषि के क्षेत्र में डेयरी का 28 प्रतिशत का योगदान है। देश में दूध का 8 लाख करोड़ रुपए का कारोबार है। जब प्राइवेट डेयरियों के कारण पशु पालकों को कोई नुकसान नहीं हुआ तो फिर नए कृषि कानून से किसानों का नुकसान कैसे होगा? मोदी ने कहा कि क़ानूनों को लेकर बेवजह गुमराह किया जा रहा है। जबकि हकीक़त यह है कि सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए जो कार्य किए हैं, उनसे किसानों का फायदा हुआ है। आज मुझे किसान विरोधी बताया जा रहा है, जबकि मेरी सरकार ने फसल बीमा योजना के दायरे को बढ़ाया। इसी का परिणाम है कि किसानों को 90 हजार करोड़ रुपए के क्लेम राशि मिली है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में देश के 10 करोड़ किसानों को एक लाख 15 हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना हो या फिर किसान के खेत में सोलर ऊर्जा प्लांट लगाने का काम हो, सरकार ने प्राथमिकता से किया है। यही वजह है कि कृषि जीनसों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी व्यवस्था लागू है और लागू रहेगी। देश के 80 करोड़ लोगों को जिस प्रकार सस्ता राशन मिलता है उसी प्रकार मिलता रहेगा। वामपंथी दल तो पूर्व की सरकारों पर भी अमरीका के साथ होने का आरोप लगाते थे और आज भी लगा रहे हैं। जो ममता बनर्जी आज किसान आंदोलन को समर्थन दे रही है उन्होंने अपने पश्चिम बंगाल में किसान सम्मान निधि की 6 हजार रुपए की राशि किसानों को वंचित कर रखा है।देश में अब आंदोलनजीवी भी हो गए है:पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि अब तक तो हम श्रमजीवी, बुद्धिजीवी जैसे शब्द सुनते थे, लेकिन अब आंदोलनजीवी भी हो गए हैं। ऐसे परजीवी लोग वकीलों का आंदोलन हो या छात्रों का सभी जगह नजर आ जाते हैं। ऐसे लोगों का स्वयं को तो कोई वजूद नहीं है, लेकिन दूसरे के आंदोलन में शामिल होकर अपना महत्व बनाए रखने की कोशिश करते हैं। मोदी ने कहा कि अब एफडीआई की परिभाषा भी बदली जा रही है। अब एफडीआई का मतलब फॉरेन डिस्ट्रटिक्टव आइयोलॉजी हो गया है। विदेश में रहकर कुछ लोग भारत के आंतरिक मामलों में अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।देश के हर सिक्ख के लिए हमें गर्व है:दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों ने सर्वाधिक संख्या पंजाब के किसानों की देखते हुए मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह देश हर सिक्ख के लिए गर्व करता है। देश में सिक्खों के बीच गुरु परंपरा रही है और ऐसी परंपरा का बलिदानी इतिहास रहा है। सिक्ख भाईयों को बेवजह गुमराह किया जा रहा है। मैं जनता हंू कि देश के विभाजन के समय सिक्ख समुदाय को सबसे ज्यादा कष्ट झेलना पड़ा। 1984 के दंगों में भी सिक्खों का परेशान किया गया।4 लाख करोड़ का डिजिटल लेन-देन:पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज भारत के प्रयासों पर दुनिया गर्व कर रही है। कोरोना काल का जिस तरीके से भारतवासियों ने मुकाबला किया उसकी सब जगह प्रशंसा हो रही है। देश की हौंसला अफजाई के लिए ढाणी में रहने वाली बुजुर्ग महिला ने भी अपनी झौंपड़ी के बाहर दीप जलाया। लेकिन अब कुछ लोग उस बुजुर्ग महिला का अपमान कर रहे हैं। दीप जलाने के काम का मजाक उड़ाया जा रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत का ही संदेश है कि कोरोना काल में दुनिया के 150 देशों में भारत में बनी दवाईयां भेजी गई। आज भारत में तैयार वैक्सीन की मांग पूरी दूनिया में है। कुछ लोग जब देश के लोकतंत्र की बात करते हैं, तो मुझे लगता है कि ऐसे विपक्षी नेताओं के समाने पश्चिम बंगाल की तस्वीर होती है। राष्ट्रवाद को संकीर्णता से लेने की जरूरत नहीं है। भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, यही वजह है कि विदेशी निवेश लगातार बढ़ रहा है। आज विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर है। प्रतिमाह 4 लाख करोड़ रुपए का डिजिटल लेनदेन हो रहा है। जो लोग कहते थे कि ग्रामीण व्यक्ति मोबाइल कहां से लाएगा। वही ग्रामीण आज मोबाइल से भुगतान कर रहा है। S.P.MITTAL BLOGGER (08-02-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9509707595To Contact

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