अब दिशा रवि के समर्थन में उतरी कांग्रेस, इसीलिए चुनावों में हारती जा रही है पार्टी। पाकिस्तान का भी समर्थन। 26 जनवरी को किसान आंदोलन में हिंसा की साजिश उजागर। विदेशी तत्वों का भी हाथ। अजमल कसाब की उम्र भी 21 वर्ष ही थी। तो नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के पद से हटाने की मांग भी कर सकते हैं राकेश टिकैत।
बैंगलूरू की पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी के साथ ही कांग्रेस अब दिशा के समर्थन में उतर आई है। राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से लेकर पी चिदंबरम और दिग्विजय सिंह भी दिशा रवि को बेचारी और निर्दोष मान रहे हैं। दिल्ली पुलिस को पूछताछ में दिशा ने स्वीकार किया है कि वह स्वीडन की सेलेब्रेटी ग्रेटा थनबर्ग के संपर्क में थी और 26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रेक्टर मार्च से पहले उन्होंने ऑनलाइन मीटिंग की थी। इस मीटिंग में निकिता जैकब, शांतनु, एमओ धारीवाल आदि शामिल हुए। पुलिस का आरोप है कि दिशा रवि और उनके सहयोगियों की करतूतों की वजह से 26 जनवरी को दिल्ली में हिंसा को बढ़ावा मिला। किसान आंदोलन को भड़काया गया। ताकि सरकार की बदनामी हो सके। जब पूरे देश में 26 जनवरी की दिल्ली हिंसा को लेकर गुस्सा है, तब कांग्रेस हिंसा के आरोपियों का बचाव कर रही है। कांग्रेस के ऐसे निर्णयों से ही पार्टी का चुनावों में हार का सामना करना पड़ता है। जिस पार्टी ने देश में 50 वर्षों तक शासन किया, उस कांग्रेस पार्टी के आज लोकसाभा में मात्र 52 सांसद हैं। 545 सांसदों में से मात्र 52 सांसद होने से पार्टी को अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। कांग्रेस के नेता देश की जनता के रुख को अभी भी नहीं पहचान रहे हैं। कहा जा रहा है कि 21 वर्षीय दिशा रवि नाम की लड़की से केन्द्र सरकार डर गई है। कांग्रेस के नेताओं को समझना चाहिए कि मुम्बई में 26/11 के हमले में गिरफ्तार आतंकी अजमल कसाब की उम्र भी 21 वर्ष ही थी। अजमल ने बंदूक चलाकर मुम्बई को छलनी कर दिया तो दिशा रवि की गतिविधियों ने दिल्ली के लाल किले पर हिंसा करवा दी। लाल किले की हिंसा में अब अंतर्राष्ट्रीय साजिश की खबरें आ रही है। किस प्रकार खालिस्तान के समर्थक सक्रिय दिखे। अब सोशल मीडिया का जमाना है। इस मीडिया के किट एके 47 से भी ज्यादा खतरनाक हैं। प्रियंका गांधी जिस दिशा रवि को निहत्थी लड़की बता रही हैं उसी लड़की के पास हिंसा को बढ़ावा देने के किट मौजूद थे। यह तो दिल्ली पुलिस ने धैर्य से काम लिया, नहीं तो दिल्ली के हालात बिगड़ जाते। दिल्ली को बचाने के लिए पुलिस के 400 जवान जख्मी हो गए। दिशा रवि जैसी मानसिकता वालों ने 26 जनवरी को जो माहौल बनाया, उसमें यदि पुलिस जवाबी कार्यवाही कर देती तो हालात बेकाबू हो जाते। लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस उन लोगों का समर्थन कर रही है जिन पर गंभीर आरोप हैं। किसान आंदोलन पर किसी को ऐतराज नहीं है। लोकतांत्रिक देश में किसानों को भी अपनी बात कहने का हक है, लेकिन जो लोग किसान आंदोलन की आड़ में देश का माहौल खराब कर रहे हैं, उनके विरुद्ध कार्यवाही होनी ही चाहिए। यदि किसी ने देशद्रोह किया है तो उसे सजा भी मिलनी चाहिए।
पाकिस्तान का भी समर्थन:
दिशा रवि की गिरफ्तारी के विरोध को पाकिस्तान का भी समर्थन मिल गया है। प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली तहरीक-ए-इंसाफ ने ट्वीट कर दिशा रवि की गिरफ्तारी का विरोध किया है।
मोदी को हटाने की मांग:
दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का नेतृत्व करने वाले किसान नेता राकेश टिकैत ने 14 फरवरी को एक किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों के आंदोलन को गंभीरता से लेते हुए केन्द्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए। टिकैत ने कहा कि अभी हम कृषि कानूनों को वापस लेने की ही मांग कर रहे हैं। हमने अभी गद्दी वापसी की मांग नहीं की है। टिकैत का इशारा नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर था। यानि आने वाले दिनों में राकेश टिकैत मोदी को पीएम पद से हटाने की भी मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं को जाम कर सकते हैं। सवाल उठता है कि क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसी धमकी भरी बात कही जा सकती है? तीनों कृषि कानून भी लोकतांत्रिक व्यवस्था का ही अंग हैं। संसद के दोनों सदनों से प्रस्ताव स्वीकृत हुए हैं और फिर राष्ट्रपति की मुहर लगी है। इसके बाद भी प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में कहा है कि यह कानून वैकल्पिक है। यदि कोई किसान इस कानून का लाभ नहीं लेना चाहता है तो वह स्वतंत्र है। किसी भी किसान पर यह कानून थोपा नहीं जाएगा। इसी स्पष्टता के बाद भी राकेश टिकैत अपने समर्थकों के साथ दिल्ली की सीमाओं पर टिके हुए हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (15-02-2021)
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